जानिये किस तरह की जाती है पशुधन गणना

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नयी दिल्ली। देश में कुल पशुधन आबादी 53.578 करोड़ है। मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत शासन के पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा बुधवार, 16 अक्टूबर 2019 को जारी 20वीं पशुधन आबादी 'गणना-2012' रिपोर्ट से यह बात साबित होती है।
यह गणना न केवल नीति निर्माताओं, बल्कि कृषि विशेषज्ञों, व्यापारियों, उद्यमियों, डेयरी उद्योग और आम जनता के लिए भी लाभप्रद साबित होगी। इस रिपोर्ट से कुछ ऐसे अहम निष्कर्ष उभर कर सामने आए हैं जो पशुओं की विभिन्न नस्लों की कुल संख्या के साथ-साथ पिछली गणना से इसकी तुलना को भी प्रतिबिंबित करते हैं।
देश में पशुधन गणना वर्ष 1919-20 से ही समय-समय पर की जाती रही है। पशुधन गणना में सभी पालतू जानवरों और उनकी संख्या को कवर किया जाता है। अब तक राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन की भागीदारी से इस तरह की 19 गणनाएं आयोजित की गई हैं। 20वीं पशुधन गणना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी से आयोजित की गई। यह गणना ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में की गई। पशुओं (मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा ऊंट, कुत्ता, खरगोश और हाथी) के विभिन्न नस्लों और घरों, घरेलू उद्यमों/ गैर-घरेलू उद्यमों और संस्थानों में मौजूद पोल्ट्री पक्षियों (मुर्गी, बतख, एमु, टर्की, बटेर और अन्य पोल्ट्री पक्षियों) की गणना संबंधित स्थलों पर ही की गई है।
20वीं पशुधन गणना के तहत टैबलेट कंप्यूटरों के जरिये डेटा संग्रह पर विशेष बल दिया गया है। 20वीं पशुधन गणना को निश्चित तौर पर एक अनूठा प्रयास इसलिए माना जाना चाहिए क्योंकि पहली बार संबंधित क्षेत्र से ऑनलाइन संप्रेषण के जरिये घरेलू स्तर के आँकड़ों के डिजिटलीकरण के लिए इस तरह की बड़ी पहल की गई है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने एक मोबाइल एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर विकसित किया है और इसका उपयोग डेटा संग्रह के साथ-साथ संबंधित क्षेत्र से एनआईसी के सर्वर पर डेटा के ऑनलाइन संप्रेषण के लिए किया गया। चूंकि भारत एक ऐसा विशाल देश है जहाँ पशुधन की संख्या भी विशाल है, इसलिए विशेषकर नस्लों और उनकी उम्र-संरचना के साथ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डेटा संग्रह करना वास्तव में एक बड़ी चुनौती है। इन चुनौतियों से पार पाते हुए 20वीं पशुधन गणना में 27 करोड़ से भी अधिक घरेलू एवं गैर-घरेलू मवेशी के आँकड़ों का संग्रह किया गया है, ताकि देश में पशुधन और पोल्ट्री की कुल संख्या का सटीक आकलन किया जा सके।
गणना से जुड़ी इस समूची प्रक्रिया में राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों ने 80,000 से भी अधिक ऐसे क्षेत्रीय कर्मचारियों की सेवाएं लीं जो मुख्यत: पशु चिकित्सक और पैरा-पशु चिकित्सक हैं, ताकि 20वीं पशुधन गणना का संचालन सुगमतापूर्वक किया जा सके। इस गणना का एक महत्वपूर्ण घटक प्रशिक्षण था क्योंकि पहली बार क्षेत्रीय कर्मचारियों (फील्ड स्टाफ) के लिए टैबलेट कंप्यूटर का संचालन अनिवार्य किया गया, ताकि इतने बड़े पैमाने पर गणना कार्य सुव्यवस्थित रूप से हो सके। विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण देने का काम पूरा किया गया जिसकी शुरुआत दिल्ली में आयोजित 'प्रशिक्षकों के लिए अखिल भारतीय प्रशिक्षण कार्यशाला' के साथ हुई। बाद में राज्य और जिला स्तर पर भी प्रशिक्षण देने का काम पूरा किया गया। प्रशिक्षण देने के अलावा प्रशिक्षण मैनुअल, ट्यूटोरियल वीडियो, ऑनलाइन ई-लॄनग कक्षाओं इत्यादि की भी व्यवस्था की गई।