लखनऊ, बुधवार, 23 अक्टूबर 2019। उत्तर प्रदेश की सरकारी आसवनियों ने अतिरिक्त 5.3 करोड़ लीटर एथेनॉल क्षमता हासिल करने के लिए 160 करोड़ रुपये निवेश का खाका तैयार किया है। इस अतिरिक्त एथेनॉल की आपूर्ति सरकारी तेल विपणन कंपनियों को की जाएगी। केंद्र सरकार ने बाहर से तेल आयात कम करने और धीरे-धीरे हरित ईंधन की तरफ बढऩे की दिशा में प्रयास तेज कर दिया है।
उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल फेडेरेशन लिमिटेड अपनी 6 मौजूदा आसवनियों में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) तकनीक स्थापित करने के लिए निवेश कर रहा है। इसके लिए संगठन आवश्यक तैयारियाँ लगभग पूरी करने वाला है। देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य में 2019-20 का पेराई सत्र महज 7 से 10 दिन रह गया है।
संघ के अनुसार इन 6 इकाइयों की संयुक्त रूप से एथेनॉल और रेक्टिफाइड स्पिरिट की कुल स्थापित उत्पादन क्षमता क्रमश: 3.5 करोड़ लीटर और 1.35 करोड़ लीटर होगी। इसके साथ ही 25,000 टन बायो-कपोस्ट का भी उत्पादन होगा। इनके अलावा आजमगढ़ और बिजनौर में संघ की दो आधुनिक आसवनियों की एथेनॉल और रेक्टिफाइड स्पिरिट कैपेसिटी क्रमश: 1.8 करोड़ लीटर और 0.3 करोड़ लीटर है। इस तरह, अगले पेराई सत्र में 8 आसवनियों से कुल मिलाकर 5.3 करोड़ एथेनॉल और 1.65 करोड़ लीटर रेक्टिफाइड स्पिरिट का उत्पादन होगा।
एथेनॉल खरीदने वाली कंपनियों में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) सबसे ऊपर है, जिसकी इसमें 45 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके बाद हिंदुस्तान पेट्रोलियम (एचपी) और भारत पेट्रोलियम (बीपी) जैसी कंपनियाँ आती हैं।
एथेनॉल उत्पादन के लिए उत्तर प्रदेश में होगा 160 करोड़ का निवेश