मसूर के एमएसपी में 325, कुसुम में 270, चना में 255, सरसों में 225, गेहूँ व जौ में 85 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि
इस बढ़ोतरी के बाद एमएसपी रुपये प्रति क्विंटल मसूर का 4,800; कुसुम का 5,215; चना 4,875; सरसों 4,425; गेहूँ 1,925 व जौ 1,525 हो गया है
औसत उत्पादन लागत के आधार पर एमएसपी में बढ़ोतरी गेहूँ के लिये 109 प्रतिशत, सरसों के लिए 90 प्रतिशत, जौ के लिए 66 प्रतिशत, मसूर के लिए 76 प्रतिशत, चना के लिए 74 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दीपावली के अवसर पर किसानों को बड़ा तोहफा देते हुए रबी फसल सत्र 2019-20 के लिए सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में लागत की तुलना में 50 से लेकर 109 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।
आज बुधवार, 23 अक्टूबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि, जिसे रबी विपणन सत्र 2020-21 के लिए चिह्नित किया जाना है, को अनुमति प्रदान की है।
गत वर्ष की तुलना में एमएसपी में रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी मसूर में 325, कुसुम में 270, चना में 255, सरसों में 225 और गेहूँ तथा जौ में 85 रुपये की है। इस बढ़ोतरी के बाद एमएसपी रुपये प्रति क्विंटल मसूर का 4,800; कुसुम का 5,215; चना 4,875; सरसों 4,425; गेहूँ 1,925 व जौ 1,525 हो गया है।
इन फसलों की औसत उत्पादन लागत के आधार पर एमएसपी में बढ़ोतरी गेहूँ के लिये 109 प्रतिशत, सरसों के लिए 90 प्रतिशत, जौ के लिए 66 प्रतिशत, मसूर के लिए 76 प्रतिशत, चना के लिए 74 प्रतिशत और कुसुम के लिए 50 प्रतिशत है।
सरकार का कहना है कि फसल लागत में खेतिहर श्रमिकों की मजदूरी, बैलों या मशीन द्वारा किये गये श्रम का व्यय, पट्टे पर ली गई जमीन के किराए का भुगतान, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई पर खर्च, कार्यान्वयन और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पंप सेटों के संचालन के लिए डीजल एवं बिजली पर व्यय, पंप सेटों के संचालन के लिए डीजल एवं बिजली पर व्यय, कार्यान्वयन और कृषि भवनों पर मूल्यह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, विविध खर्च आदि शामिल हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अनाजों के मामले में, एफसीआई एवं अन्य नामित राज्य एजेंसियाँ किसानों को समर्थन मूल्य प्रदान करना जारी रखेंगी। राज्य सरकारें भारत सरकार की पूर्व स्वीकृति से दानेदार (मोटे) अनाजों की खरीद का काम करेंगी और एनएफएसए के तहत पूरी खरीद की गई इस मात्रा को वितरित भी करेंगी। एनएफएसए के तहत जारी की गई राशि के लिए ही राजसहायता प्रदान की जाएगी। नेफेड, एसएफएसीऔर अन्य नामित केंद्रीय एजेंसियाँ दाल और तिलहन की खरीद का कार्य जारी रखेंगी। इस तरह के कार्य में नोडल एजेंसियों द्वारा किए गए नुकसान को सरकार द्वारा दिशानिर्देशों के तहत पूरी तरह से प्रतिपूर्ति की जा सकती है।
किसानों को आय सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त नीति बनाने के उद्देश्य से, सरकार का दृष्टिकोण उत्पादन-केंद्रित से बदलकर आय-केंद्रित हो गया है। किसानों की आय में सुधार की दिशा में 31 मई 2019 को संपन्न पहली केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के दायरे को बढ़ाने पर निर्णय लिया गया था। पीएम-किसान योजना की घोषणा वित्तीय वर्ष 2019-2020 के अंतरिम बजट में किया गया था, जिसके तहत वैसे कियानों को लाया गया था जिनके पास करीब 2 एकड़ तक की भूमि थी, इसके तहत इन्हें 6000 रुपये वार्षिक सरकार द्वारा प्रदान करने का निर्णय किया गया था।
एक अन्य योजना 'प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान' की घोषणा सरकार द्वारा 2018 में ही किया गया था जिसके तहत किसानों को उनके उत्पाद का सही पारिश्रमिक देना था। इस योजना के तहत तीन अन्य उप-योजनाएं जैसे मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य में कमी पर भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद एवं भण्डारण योजना (पीपीएसएस) पायलट आधार पर शामिल किए गए।