भारी बारिश से गन्ना उत्पादन कम होने की आशंका

Sugarcane


मुंबई, सोमवार, 7 अक्टूबर 2019। देश भर के कृषि से संबंधित लगभग सभी राज्यों में अत्यधिक वर्षा से खरीफ की फसलों को नुकसान पहुँच सकता है और गन्ने की फसल के मामले में भी यही सच है। हालांकि किसानों और व्यापारियों को उम्मीद है कि इस साल हुई अधिक बारिश से 2020-21 के सत्र में गन्ने की जोरदार फसल के साथ-साथ चीनी उत्पादन की संभावना बढ़ जाएगी। चीनी का सत्र अक्टूबर से शुरू होता है और सितंबर में समाप्त होता है। दीर्घावधिक औसत (एलपीए) के आधार पर भारतीय मौसम विभाग ने बताया है कि 1 जून से 30 सितंबर के बीच हुई 968.3 मिलीमीटर की बारिश सामान्य 880.6 मिलीमीटर की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक रही है। मौसम विभाग के अनुसार पिछले साल सामान्य बारिश हुई थी।
तेज बारिश होने से लगभग पूरे देश में बरबादी मची है। अधिकांश कृषि क्षेत्रों ने खरीफ में बोई जाने वाली फसलों को नुकसान होने की सूचना दी है। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण फसल गन्ने की रही है। आम तौर पर पानी की अधिक आवश्यकता के कारण कम बारिश वाले वर्षों में इस पर खास ध्यान दिया जाता है।
राष्ट्रीय सहकारी चीनी फैक्टरी महासंघ (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नायकनवरे ने कहा कि बाढ़ की वजह से फसल बरबाद होने के कारण इस साल (2019-20) में कुल गन्ना उत्पादन घटने के आसार हैं। बाद में इसका बाढ़ रुख विशेष रूप से महाराष्ट्र में चारे की खड़ी अधपकी फसल की ओर हो गया था। लेकिन जलाशय लबालब होने और भूजल स्तर अनुकूल होने की वजह से अगला साल यानी 2020-21 निश्चित रूप से भारत में गन्ने की उपज के मामले में जोरदार वर्ष रहेगा क्योंकि जल की यह स्थिति गन्ने की बुआई के लिए उपयुक्त होती है।
इस बीच कृषि वेयरहाउसिंग और फसल मूल्यांकन करने वाली निजी कंपनी नैशनल बल्क हैंडलिंग कॉर्पोरेशन (एनबीएचसी) द्वारा किए गए एक हालिया सर्वेक्षण में अनुमान जताया गया है कि पिछले साल के 40 करोड़ टन की तुलना में पेराई सत्र 2019-20 में भारत का गन्ना उत्पादन 12 प्रतिशत घटकर 35.1 करोड़ टन रहेगा। पेराई सत्र 2017-18 में कुल गन्ना उत्पादन 38 करोड़ टन दर्ज किया गया है। सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष निकाला गया है कि वर्तमान सत्र में गन्ने का क्षेत्रफल 14 प्रतिशत बढ़कर 58.9 लाख हेक्टेयर हो जाएगा, जबकि पिछले वर्ष यह 51.6 लाख हेक्टेयर था।
परंपरागत अनुमान के तौर पर 15 प्रतिशत की दोबारा बुआई और गुड़ तथा खंडारी उत्पादन के लिए 15 प्रतिशत और बुआई के साथ चीनी मिलों में पेराई के लिए गन्ने की कुल मात्रा करीब 25 करोड़ टन बचने का अनुमान है। देश भर में औसतन 10 प्रतिशत सुधार दर के साथ 2019-20 में भारत का चीनी उत्पादन लगभग 2.5 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पिछले पेराई सत्र यानी 2018-19 के दौरान भारत का कुल चीनी उत्पादन 3.295 करोड़ टन बताया गया है। उद्योग के संगठन भारीतय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने जुलाई में सामान्य मॉनसून और अन्य अनुकूल परिस्थितियों के आधार पर भारत का चीनी उत्पादन 2.82 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया था।