भारत ने वित्त वर्ष 2019 में 5,151 करोड़ रुपये के जैविक खाद्य उत्पादों का निर्यात किया: एपीडा

Pawan Borthakur IAS Assam President APIDA
नई दिल्ली, बुधवार, 30 अक्टूबर 2019। भारत ने वर्ष 2018-19 में 5,151 करोड़ रुपये के जैविक उत्पादों का निर्यात किया, जो निर्यात पिछले वर्ष 3,453 करोड़ रुपये के मुकाबले लगभग 49 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। यह जानकारी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एग्रीकल्चरल एण्ड प्रोसेस्ड फूड प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट डेव्हलपमेंट अथॉरिटी-एपीडा) ने दी है। 
एपीडा के अध्यक्ष पवन बोरथाकुर ने कहा, ''भारत ने वर्ष 2018-19 में प्रमाणित जैविक उत्पादों का लगभग 26.7 लाख टन का उत्पादन किया, जिसमें खाद्य उत्पादों की सभी किस्में शामिल हैं जैसे कि तेल, बीज, गन्ना, अनाज, बाजरा, कपास, दालें, औषधीय पौधे, चाय, फल, मसाले, सूखे मेवे, सब्जियाँ, कॉफी आदि। यह उत्पादन खाद्य क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जैविक कपास फाइबर और कार्यात्मक खाद्य उत्पादों का भी उत्पादन होता है।''
एपीडा ने कहा कि जैविक उत्पाद श्रेणी के तहत प्रमुख रूप से माँग अलसी बीज (फ्लैक्स सीड), तिल और सोयाबीन के अलावा अरहर, चना जैसी दालों और चावल, चाय और औषधीय पौधों के लिए है।
श्री बोरथाकुर ने कहा, वर्ष 2018-19 में कुल 6.14 लाख टन वजन का 5151 करोड़ रुपये मूल्य के जैविक उत्पादों का निर्यात हुआ। इनमें तिलहन, चीनी, मोटे अनाज, रेशे वाली फसलें, दलहन, औषधीय, जड़ी-बूटी तथा सुगंधित पौधे और मसाले शामिल हैं।
जैविक उत्पादों का मुख्यत: निर्यात अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, स्विटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, इजरायल, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, न्यूजीलैंड और जापान आदि को किया जाता है। उन्होंने बताया कि 2018-19 में जैविक उत्पाद निर्यात में 49 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। अमेरिका तथा यूरोपीय संघ के देशों की माँग सबसे अधिक रही जबकि कनाडा, ताइवान और दक्षिण कोरिया में भी इनकी माँग बढऩे लगी है। भारत के जैविक उत्पादों के लिए जर्मनी सबसे बड़े आयातकों में से एक है। अब, कई नए देश ने भी रुचि लेना शुरु किया है।
अध्यक्ष ने बताया कि विश्व भर में जैविक कृषि उत्पादों की माँग लगातार बढ़ रही है। इस वर्ष 31 मार्च 2019, तक जैविक प्रमाणीकरण प्रक्रिया (जैविक उत्पादन के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत पंजीकृत) के तहत कुल खेती का क्षेत्रफल 35.6 लाख हेक्टेयर था। इसमें 19.4 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य थी और 14.9 लाख हेक्टेयर वनोपज संग्रह के लिए थी। जैविक प्रमाणन के तहत सबसे अधिक भूमि मध्य प्रदेश में है। दूसरे स्थान पर राजस्थान और महाराष्ट्र है। चौथे स्थान पर उत्तर प्रदेश का स्थान है। वर्ष 2016 में सिक्किम एकमात्र ऐसा राज्य था जहाँ समूची कृषि योग्य भूमि 76 हजार हेक्टेयर से अधिक जैविक प्रमाणन कार्यक्रम में शामिल थी।
भारत और विदेशों में जैविक कृषि उत्पादों की माँग को और बढ़ावा देने के लिए, एपीडा तीन दिवसीय बायोफच इंडिया 2019 में जैविक खाद्य उत्पादों, सामग्री, वस्तुओं और प्रसंस्कृत भोजन के लिए प्रमुख केंद्र के रूप में भारत की ताकत का प्रदर्शन करेगा। यह व्यापार मेला 7-9 नवंबर के दौरान ग्रेटर नोएडा में आयोजित किया गया है।