पटना, गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019। बिहार सरकार ने घरेलू कृषि यंत्र निर्माताओं को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। सरकार राज्य में निर्मित कृषि उपकरणों का बाजार बढ़ाने के उद्देश्य से इन यंत्रों पर 75 प्रतिशत राजसहायता देगी। इस बारे में एक प्रस्ताव जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।
विदित हो कि बिहार में करीब 200.50 करोड़ रुपये का कृषि उपकरणों का कारोबार होता है जिसमें स्थानीय निर्माताओं की बाजार हिस्सेदारी सिर्फ 15.20 प्रतिशत है। राज्य में नीतिश कुमार की सरकार कृषि यांत्रिकीकरण पर काफी जोर दे रही है, लेकिन अब तक सिर्फ 15 निर्माताओं ने ही बिहार सरकार के पास पंजीयन कराया है जिसका सीधा लाभ अन्य राज्यों के कृषि यंत्र निर्माताओं को हो रहा है।
इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार एक बार फिर इस घरेलू कृषि यंत्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कमर कसी है। इसके लिए कृषि विभाग ने इस प्रकार के प्रस्ताव को तैयार कर अनुमति दी है। इसके तहत राज्य में निर्मित होने वाले कृषि यंत्रों की सूची तैयार की जा रही है जिन पर 75 प्रतिशत राजसहायता दी जायेगी। प्रारंभ में आधे दर्जन से अधिक यंत्र राजसहायता की सूची में जोड़े जाएंगे। इनमें दूसरे यंत्रों के साथ पराली का प्रबंधन करने वाले उपकरण भी शामिल हैं।
कृषि विभाग के प्रस्ताव के अनुसार राज्य में निॢमत उपकरण की खरीद पर किसानों को 75 प्रतिशत राजसहायता मिलेगी। बाहर के निॢमत उपकरणों पर 65 प्रतिशत ही राजसहायता मिलेगी। अधिकारियों के अनुसार अधिक राजसहायता से राज्य में निॢमत यंत्रों की खरीद में इजाफा होगा। इससे राज्य में इस क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा। हालांकि, विभाग ने इस बारे में 20 प्रतिशत अतिरिक्त राजसहायता का प्रस्ताव रखा था, लेकिन योजना विभाग की आपत्ति के बाद इसे घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया।
अपने यहाँ बने कृषि यंत्रों पर 75 प्रतिशत राजसहायता देगी बिहार सरकार