अनुवांशिकी बीजों से किसानों का अहित हो रहा है: राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री केलकर

Prabhakar Kelar National Vicepresident of Bhartiya Kisan Sangh BKS addressing to farmers on 15 October 2019 in Ambedkar Park of Tulsi Nagar Bhopal Madhya Pradesh MP


''किसान-किसानी सुरक्षा कोष'' बनाए केन्द्र व राज्य सरकार
पॉम आईल आयात को हतोत्साहित करते हुए देश के किसानों को तिलहनी फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए


भोपाल। अनुवांशिकी बीजों से किसानों का अहित हो रहा है। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर ने मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019 को यहाँ राजधानी भोपाल के तुलसी नगर स्थित अम्बेडकर पार्क में आयोजित एक दिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन कार्यक्रम में प्रदेश भर से आए किसानों को सम्बोधित करते हुए यह बात कही।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि बड़ी संख्या में देश के किसान कपास का अनुवांशिकी बीज (जीएम सीड) का उपयोग कर रहे हैं। कपास के जीएम सीड को विकसित करने वाली विदेशी कंपनी मॉनसेंटों ने बीज की रॉयल्टी के नाम पर करोड़ों रुपये किसानों से भारतीय कंपनियों के माध्यम से वसूले। इस प्रकार के बीज का किसान सिर्फ एक बार ही उपयोग कर पाते हैं, यह बीज दूसरी बार उपयोग के लायक नहीं होता है। इस प्रकार का यह बांझ बीज या टर्मिनेटर सीड किसानों की खेती की लागत को बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि जीएम सीड किसानों और उनकी खेती को बर्बाद करने वाला बीज है।
उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि में पहले किसान खुद का बीज तैयार करते थे और कई बार उस बीज का उपयोग करते थे। वर्तमान में किसानों को कई फसलों की खेती में हर बार नया बीज बोना पड़ता है, जिसके चलते प्रतिवर्ष किसानों की लागत बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि इन बीजों का आधिपत्य अधिकांशत: विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों में है।
''किसान-किसानी सुरक्षा कोष'' बनाए केन्द्र व राज्य सरकार
प्रभाकर केलकर ने कहा कि भारतीय किसान संघ प्रारंभ से केन्द्र सरकार की फसल बीमा योजना का विरोधी रहा है। इस योजना से सिर्फ बीमा कंपनियों को ही लाभ मिलता है, किसानों को नहीं। उन्होंने मंच से सुझाव दिया कि फसल बीमा के स्थान पर ''किसान-किसानी सुरक्षा कोष'' स्थापित किया जाए। देशभर की मण्डियों में होने वाले व्यापार में 100 रुपये में से 10 पैसे की दर से व्यापारियों से राशि ली जाएं और प्राप्त राशि के बराबर की राशि केन्द्र व राज्य जमा करे। इस तरह बने कोष में से प्राकृतिक आपदा के चलते फसल खराब होने पर तत्काल 5,000 रुपये की राशि किसानों के खातों में जमा कर दी जाए। बाद में सरकार किसानों को नियमानुसार मुआवजा राशि भी दे। तत्काल राशि मिलने से से किसानों के मन में हताशा का भाव नहीं आएगा और वे आत्महत्या करने के लिए प्रेरित नहीं होंगे।


Prabhakar Kelar National Vicepresident of Bhartiya Kisan Sangh BKS addressing to farmers on 15 October 2019 in Ambedkar Park of Tulsi Nagar Bhopal Madhya Pradesh MP
खाद्य तेलों में पॉम आईल की मिलावट करने वालों को दण्डित करे सरकार
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री केलकर ने कहा कि लम्बे समय से देश में पॉम आईल का आयात किया जा रहा है जो प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि पॉम आईल को अन्य खाद्य तेलों के साथ मिलाने पर घरेलू तेल उद्योग और तिलहनी फसलों की खेती करने वाले किसानों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। दुर्भाग्य से खाद्य तेल की घरेलू माँग की पूर्ति आयातित पॉम तेल से करने से किसानों को बाजार में तिलहनी फसलों के उचित दाम नहीं मिल पाते हैं जिसके चलते धीरे-धीरे किसानों का तिलहनी फसलों की खेती के प्रति रुचि कम होती जा रही है।
श्री केलकर ने कहा कि वास्तव में देश को पॉम आईल की आवश्यकता ही नहीं है। इससे भारतीयों के स्वास्थ पर भी बुरा असर पड़ रहा है। अच्छा हो कि केन्द्र व राज्य सरकारें तिलहनी खेती को बढ़ावा दें और धीरे-धीरे पॉम तेल के आयात को कम करती जाएं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में केन्द्र सरकार ऐसा कानून लाए जिससे खाद्य तेलों में पॉम आईल का मिलावट करने वाली कंपनियाँ तेल की पैकिंग पर यह अंकित करना प्रारंभ करे कि उसमें कितने प्रतिशत पॉम आईल की मिलावट की गई है। उन्होंने कहा कि नकली पॉम आईल की मिलावट करने वालों की कंपनियों पर केन्द्र व राज्य सरकार हमेशा के लिए प्रतिबंध लगाए।