घरेलू डेयरी उद्योग पर मंडराएंगे संकट के बादल, दुग्ध उत्पादक किसानों को होगा भारी नुकसान
बेंगलुरु। कर्नाटक में विपक्षी दल कांग्रेस और जनता दल-सेक्युलर (जद-एस) ने शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019 को केंद्र सरकार के क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के तहत मुक्त व्यापार समझौता करने के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति दर्ज करायी। दोनों दलों ने सरकार को घरेलू उद्योग विशेषकर डेयरी क्षेत्र पर इसके प्रभावों को लेकर विरोध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी।
कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने माँग की कि प्रस्तावित आरसीईपी समझौते का ब्योरा सार्वजनिक किया जाए और इस पर हस्ताक्षर से पहले बातचीत की जाए। श्री सिद्धरमैया ने कहा, ''मेरी माँग है कि सरकार इसे लोगों के सामने रखे कि आरसीईपी और मुक्त व्यापार समझौते के तहत क्या होने जा रहा है। इसके लाभ और हानि पर सार्वजनिक बहस होनी चाहिए। इसे गुप्त तरीके से करके देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद नहीं करना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस पर बिना विचार-विमर्श के हस्ताक्षर कर लेती है तो यह जनता के साथ 'धोखा' होगा। इसके अलावा उन्होंने नोटबंदी, जीएसटी और देश के आर्थिक हालातों का लेकर भी केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की।
जद-एस के प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि इससे घरेलू डेयरी क्षेत्र प्रभावित हुआ तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। क्योंकि वह खुद 'किसान के बेटे' हैं। उन्होंने कहा, ''मैं किसान का बेटा हूं। आयात करने का कोई भी कदम यदि हमारे किसानों को प्रभावित करेगा तो इसका विरोध प्रदर्शन होगा।'' उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद दूध सहित अन्य डेयरी उत्पादों का आयात होने से घरेलू डेयरी उद्योग पर संकट के बादल मंडराएंगे जिसका सीधा असर भारतीय दुग्ध उत्पादकों पर पड़ेगा।
प्रस्तावित आरसीईपी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों (आसियान) के 10 सदस्य देश (ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्याँमार, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस तथा वियतनाम) तथा उनके छह मुक्त व्यापार साझेदार देश भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच होने वाला वृहद मुक्त व्यापार समझौता है।