आरसीईपी अर्थव्यस्था के लिए नोटबंदी और जीएसटी के बाद तीसरा बड़ा झटका होगा: जयराम रमेश

Congress Senior Leader Jairam Ramesh
नयी दिल्ली। विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) पर केंद्र सरकार के रुख का विरोध करते हुए कहा है कि अगर सरकार इस पर हस्ताक्षर करती है तो यह नोटबंदी तथा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसी) के बाद अर्थव्यवस्था के लिए तीसरा बड़ा झटका होगा, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय बाजार में चीन के आयात का उदारीकरण हो जाएगा।
मेड इन चाइना को मिलेगा बढ़ावा
राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2019 को एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि भारत आरसीईपी पर हस्ताक्षर कर सकता है। उन्होंने कहा, 'अगर प्रधानमंत्री अगले महीने बैंकॉक में आरसीईपी समझौते पर दस्तखत करते हैं तो नोटबंदी तथा जीएसटी के बाद यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए तीसरा बड़ा झटका होगा।' उन्होंने कहा कि सरकार अब 'मेड इन इंडिया के बारे में बात नहीं कर रही है और यह समझौता 'मेड इन चाइना' को उत्साहित करेगा।
चीन के पक्ष में व्यापार संतुलन
जयराम रमेश ने कहा कि व्यापार संतुलन पूरी तरह चीन के पक्ष में है। उन्होंने कहा, 'भारत अगर आरसीईपी समझौते पर दस्तखत करता है तो चीन से आयात का उदारीकरण हो जाएगा। हमें नहीं पता कि वुहान या महाबलिपुरम में क्या चर्चा हुई है, लेकिन हम परिणाम देख सकते हैं कि चीन से आयात का उदारीकरण होगा।'
अमूल ने केंद्र को लिखा पत्र
उन्होंने कहा कि अमूल के प्रबंध संचालक आर.एस. सोढ़ी ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने चिंता जताते हुए कहा है कि अगर भारत आरसीईपी की तरफ आगे बढ़ता है तो इससे भारतीय डेयरी सहकारिता तबाह हो जाएगी। जयराम रमेश ने कहा, 'अमूल के प्रबंध संचालक ने लिखा है कि भारत को आरसीईपी समझौते में नहीं पडऩा चाहिए, नहीं तो भारतीय डेयरी सहकारिता तबाह हो जाएगी। दूध का आयात न्यूजीलैंड से, चीनी का ऑस्ट्रेलिया से और डेयरी उत्पादों का भी आयात होगा और यह हमारी कृषि व्यवस्था को बर्बाद कर देगा।'
राष्ट्रीय सुरक्षा भी खतरे में पड़ेगी
उन्होंने कहा, 'भारत आरसीईपी के तहत डेटा के फ्री फ्लो को स्वीकार करेगा। आरसीईपी के मसौदे से राष्ट्रीय सुरक्षा को हटा दिया गया है।' जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि 'अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधनÓ की वजह से केंद्र सरकार समझौते पर हस्ताक्षर करने की इच्छुक है।
क्या है आरसीईपी
आरसीईपी, आसियान देशों और उनके छह मुक्त व्यापार साझेदारों के बीच प्रस्तावित एक मुक्त व्यापार एवं निवेश व्यवस्था है। आसियान देशों में ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। उसके छह मुक्त व्यापार साझेदार ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया और न्यूजीलैंड हैं।