उत्तर प्रदेश के किसानों का गन्ना बकाया 7,000 करोड़ रुपये पहुंचा

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उत्तर प्रदेश के किसानों का गन्ना बकाया 7,000 करोड़ रुपये पहुंचा
लखनऊ, सोमवार, 2 सितम्बर 2019। किसानों का बकाया निपटाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा निर्धारित 31 अगस्त की समय सीमा समाप्त होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों की लगभग 7,000 करोड़ रुपये की राशि बकाया है। 2018-19 के पेराई सत्र में 33,047 करोड़ रुपये की शुद्ध भुगतान योग्य राशि के मुकाबले 7,000 करोड़ रुपये का बकाया कुल राशि का 20 प्रतिशत बैठता है, जबकि 2019-20 के अगले चक्र में दो महीने से भी कम समय बाकी है। निजी चीनी मिलों पर भारी बकाया है जिनमें बजाज हिंदुस्तान, सिंभावली और मोदी समूह सबसे ऊपर हैं। राज्य सरकार पहले ही बकायेदारों को आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईएसए)-1955 की धारा 3/7 के तहत मामले दर्ज करने और वसूली प्रमाण पत्र (आरसी) जारी करने की चेतावनी दे चुकी थी जिसमें समय पर किसानों का बकाया भुगतान नहीं किए जाने पर जिला प्रशासन को संयंत्र कुर्क करने और स्टॉक की नीलामी करने का अधिकार मिल जाता है।
पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 2017-18 सत्र के लिए 10,000 करोड़ रुपये या 35,400 करोड़ रुपये से अधिक के कुल भुगतान का 28 प्रतिशत बकाया शेष था। हालांकि तब भुगतान की स्थिति को काफी हद तक केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अलग-अलग जारी की गई आसान ऋण योजनाओं से सहारा मिला था। ये योजनाएं चीनी बाजार में अधिकता, निर्यात बाजार में कमी और चीनी की कीमतों में गिरावट की पृष्ठभूमि में किसानों को भुगतान करने के लिए निजी मिलरों की मदद के लिए थी।
एक निजी चीनी मिल के अधिकारी ने कहा था कि गन्ना भुगतान स्टॉक की बिक्री से किया जाता है और ऐसी बिक्री के लिए मदद करना सरकार की जिम्मेदारी होती है। चीनी बेचने के लिए सीमित कोटा दिया गया है और हमें स्टॉक बनाए रखने तथा बिक्री नहीं कर पाने से दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश में गन्ना भुगतान की सुस्त स्थिति को ध्यान में रखते हुए आदित्यनाथ ने 19 जून, 2019 को निजी मिलरों को अगस्त 2019 के आखिर तक पूरा बकाया निपटाने की चेतावनी दी थी तथा इस बात पर जोर दिया था कि इसमें और देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उस समय बकाया लगभग 10,000 करोड़ रुपये था। तब से बकाया लगभग 3,000 करोड़ रुपये या 30 प्रतिशत तक घटकर 7,000 करोड़ रुपये रह गया है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के गन्ना आयुक्त मनीष चौहान ने राज्य की मिलों की गन्ना भुगतान स्थिति की समीक्षा की थी जिसमें बिक्री का कोटा, चीनी निर्यात और निर्यात राजसहायता की स्थिति भी शामिल थी। 2018-19 के सत्र में 94 निजी, 24 सहकारी और उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम की एक इकाई समेत 119 राज्य मिलों ने पेराई परिचालन में भाग लिया था। वर्ष 2017-18 में 1.2 करोड़ टन की तुलना में राज्य का चीनी उत्पादन लगभग 1.18 करोड़ टन रहा। उत्तर प्रदेश में अगला चीनी सत्र अक्टूबर के अंत से शुरू होने की संभावना है। एक ओर जहाँ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की इकाइयाँ अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में दीवाली के बाद काम करना शुरू कर देंगी, वहीं मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों को क्रमश: नवंबर के पहले और दूसरे सप्ताह के अंत तक काम शुरू करने के लिए कहा गया है। हाल ही में केंद्र ने देश भर की मिलों पर लगभग 12,000 करोड़ रुपये बकाये के मुकाबले इस क्षेत्र की मदद के लिए निर्यात राजसहायता की घोषणा की है।