उर्वरकों के संतुलन उपयोग के लिए मृदा परीक्षण अवश्य करवाएं किसान: केंद्रीय कृषि मंत्री
नई दिल्ली। उर्वरकों के संतुलन उपयोग के लिए मृदा परीक्षण अवश्य करवाएं किसान। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गुरुवार, 5 सितंबर 2019 को यहाँ वैश्विक सूक्ष्म पोषण सम्मेलन में किसानों से यह अपील की। अंतर्राष्ट्रीय जस्ता संघ (आईजेडए) और भारतीय उर्वरक संघ (एफएआई) द्वारा संयुक्त रूप से इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है।
नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को उर्वरकों के संतुलन का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए बुवाई से पहले अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण करवाना चाहिए। उन्होंने कहा, ''हमने 12 करोड़ किसानों को प्राथमिकता के आधार पर और मिशन मोड में मृदा स्वास्थ्य पत्रक वितरित किए हैं। लेकिन, किसानों को बुवाई से पहले मृदा परीक्षण करवाना चाहिए। इस सम्बन्ध में किसानों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरुरत है।''
कृषि मंत्री श्री तोमर ने रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग के बारे में चिंता जताई। देश के खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर होने की बात रखते हुए श्री तोमर ने कहा कि आगे उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करने, अनुसंधान पर ध्यान देने, उर्वरकों का सही उपयोग करने और किसानों को अधिक आय सुनिश्चित करना, चुनौती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कई कदम उठाए हैं, जिसमें उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करना, लगभग 90,000 करोड़ रुपये के पीएम-किसान कार्यक्रम का शुभारंभ किया जाना, जिसके तहत प्रतिवर्ष 6,000 रुपये तीन समान किश्तों में किसानों को दिये जायेंगे। इसके अलावा किसानों के लिए एक पेंशन योजना भी शुरू की गई है।
कृषि मंत्री ने कहा कि खरीफ फसलों की स्थिति बेहतर है और इसे देखते हुये लगता है कि देश में बंपर खाद्यान्न उत्पादन होगा। अगस्त में मानसून की अच्छी बरसात होने के बाद खरीफ फसलों के बुवाई के क्षेत्रफल में काफी सुधार हुआ है।
धान खेती के क्षेत्रफल की यदि बात की जाये तो 30 अगस्त तक यह कम यानी 354.84 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले साल की इसी अवधि में 372.42 लाख हेक्टेयर था। दलहन का क्षेत्रफल भी कम यानी 127.99 लाख हेक्टेयर रहा जो पिछले साल की समान अवधि में 131.54 लाख हेक्टेयर पर था। मोटे अनाज की खेती का क्षेत्रफल 171.74 लाख हेक्टेयर पर अपरिवर्तित है। तिलहन बुवाई का क्षेत्रफल मामूली कम यानी पहले के 171.15 लाख हेक्टेयर की तुलना में 170.78 लाख हेक्टेयर है। कपास खेती का क्षेत्रफल अधिक यानी 124.9 लाख हेक्टेयर है जो पहले 117.66 लाख हेक्टेयर था।
एफएआई के महानिदेशक सतीश चंदर ने माँग की कि कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले सूक्ष्म पोषक तत्वों पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया जाना चाहिए।
पीडब्ल्यूसी इंडिया के प्रमुख, खाद्य और कृषि अजय काकरा ने कहा, ''उर्वरकों के असंतुलित उपयोग से भारत की मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी आ रही है। ये कमियाँ मानव और पशुधन स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर रही हैं। मिट्टी के परीक्षण और उसके उपरांत उपयुक्त उत्पादों को उपयोग में लाकर मिट्टी में सुधार लाने से मृदा स्वास्थ्य और खेती से होने वाली आय बढ़ेगी।''
इंटरनेशनल जिंक एसोसिएशन, अमेरिका के कार्यकारी निदेशक, एंड्रयू ग्रीन ने कहा कि दुनिया भर में मिट्टी और फसलों में सबसे व्यापक सूक्ष्म पोषक तत्व जस्ता की कमी सबसे अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप उपज को नुकसान हो रहा है और पोषण गुणवत्ता में भारी कमी आई है।