उड़द फसल को पीला मोजेक रोग से बचाएं किसान
पन्ना, शुक्रवार, 6 सितम्बर 2019। पन्ना जिले में वर्तमान खरीफ मौसम में 1.08 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उड़द की खेती जा रही है। पुरानी किस्मों के उपयोग जो कि पीला मोजेक रोग के लिए रोगग्राही है तथा कीटनाशी का समय पर छिड़काव न करने से काफी मात्रा में पीला मोजेक रोग का प्रकोप वर्तमान में देखा जा रहा है।
कृषि विज्ञान केन्द्र, पन्ना के वैज्ञानिकों डॉ. आशीष त्रिपाठी, डॉ. आर.के. जायसवाल, डॉ. रणविजय सिंह, रीतेश बागोरा ने जिले के विभिन्न विकासखण्डों में कृषक प्रक्षेत्रों का भ्रमण कर पीला मोजेक रोग की तीव्रता 15-20 प्रतिशत तक अलग-अलग स्थानों पर देखी है। कहीं- कहीं पर इससे भी अधिक रोगी पौधे देखने को मिले हैं। यदि रोग का प्रकोप फूल आने के पहले शुरू हो जाता है तब ऐसी स्थिति में 30-50 प्रतिशत तक उत्पादन प्रभावित होता है जबकि फूल आने के पश्चात् रोग का प्रकोप होने पर 15-20 प्रतिशत उत्पादन में कमी देखी गई है।
पीला मोजेक रोग, जो कि एक विषाणुजनित रोग है जो सफेद मक्खी नामक रसचूसक कीट द्वारा फैलता है। रोग की शुरूआत पौधों की नई पत्तियों पर अनियमित रूप से फैले चमकीले धब्बों के रूप में होती है। पत्तियों पर पीलापन बढ़ता रहता है और पूरी फसल पीली पड़ जाती। रोगी पौधे देर से परिपक्व होते है। फलियों का आकार घटता है तथा बीज अपरिपक्व व छोटे सिकुड़े हुए प्राप्त होते है। रोग नियंत्रण हेतु रोगग्रस्त पौधों को खेत से निकालकर नष्ट करें।
खड़ी फसल में सफेद मक्खी के नियंत्रण हेतु थायोमेथोक्झम 25 प्र. डब्ल्यू.पी. या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्र. एस.एल. या ऐसिटामिप्रिड 20 प्र. एस.पी. की 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से छिड़काव करें। इसी प्रकार कुछ स्थानों पर सरकोस्पोरा पर्ण दाग एवं मेक्रोफोमिना पर्णदाग रोग के लक्षण भी पत्तियों पर गहरे भूरे रंग के धब्बों के रूप में देखने को मिले हैं। उक्त रोग नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कवकनाशी कार्बेण्डाजिम + मैंकोजेब की 400 ग्राम मात्रा या थियोफिनेट मिथाईल की 200 ग्राम मात्रा 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करें।