कांकेर के सीताफल को राज्य में अलग पहचान दिलाने का प्रयास करें
उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़)। सीताफल संग्रहण हेतु पाँच हजार स्व-सहायता समूह के महिलाओं को जोड़ना सुनिश्चित करें और जिले के सीताफल को राज्य में अलग पहचान दिलाने का प्रयास करें। जिला कलेक्टर के.एल. चौहान ने शनिवार, 28 सितम्बर 2019 को कांकेर वैली फ्रेश सीताफल परियोजना के तहत संयुक्त जिला कार्यालय के सभा कक्ष में आयोजित प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला में यह विचार व्यक्त किए।
ज्ञात हो कि सीताफल के संग्रहण, विपणन, प्रसंस्करण के लिए कांकेर वैली फ्रेश सीताफल परियोजना प्रारंभ की गई है। कलेक्टर ने निर्देश दिए कि जिले के स्व-सहायता समूह की महिलाओं को सीताफल संग्रहण कार्य में जोड़ा जाए। गाँव-गाँव से सीताफल संग्रहण करने के लिए संग्रहण केन्द्र बनाएं। महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा एकत्रित किए गए सीताफलों को जिला स्तर के संग्रहण केन्द्र में लाने की जिम्मेदारी कृषि विभाग के सहायक कृषि विस्तार अधिकारियों को दी गई है।
कलेक्टर श्री चौहान ने कहा कि सीताफल का मौसम समाप्त होने के बाद स्व-सहायता समूह कि महिलाओं को काला जामुन और आम के फलों को भी अच्छी पैकिंग कर बाजार में बेचने के लिए जोड़ा जाए, ताकि महिलाएं अच्छी आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि जिले के 188 आश्रम-छात्रावासों में दाल, आचार, पापड़, हल्दी, मिर्च मसाला आदि खाद्य सामग्री बनाकर पहुँचाने का कार्य महिला स्व-सहायता समूह द्वारा प्रारंभ हो गया है। स्व-सहायता समूहों को इसी प्रकार सीताफल संग्रहित कर संग्रहण केन्द्रों में ही बेचने का आग्रह किया, जिससे अच्छी आर्थिक लाभ मिल सकेगा।
उल्लेखनीय है कि कांकेर जिला सीताफल उत्पादन एवं फल की गुणवत्ता हेतु पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। जिले के चार विकासखण्ड कांकेर, चारामा, नरहरपुर और दुर्गूकोंदल में 3.19 लाख सीताफल वृक्षों की गणना की गई है। यहाँ प्रतिवर्ष माह अक्टूबर-नवम्बर में लगभग 6 हजार मीट्रिक टन तक सीताफल का उत्पादन होता है। इस कार्य में जिले के हजारों कृषक प्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं जो मुख्य रूप से सीमांत परिवार के महिला कृषक है। जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के द्वारा महिला कृषकों को सीताफल उत्पादन के उचित मूल्य व आर्थिक लाभ के लिए ''कांकेर वेली फ्रेश कस्टर्ड एप्पल प्रोजेक्ट'' के ब्रांड नाम से सीताफल विपणन व्यवस्था के सुदृृढ़ीकरण प्रसंस्करण के संभावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए यह कार्य प्रारंभ किया जा रहा है।
कार्यशाला में कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा सीताफल को तोडऩे तथा पैकिंग करने संबंधी विस्तृत जानकारी दी गई। समूह के महिलाओं को पंजीयन कराने की जानकारी महाप्रबंधक उद्योग आर.सी.एस. ठाकुर ने दी। कार्यशाला में मुख्य कार्याधिकारी जिला पंचायत डॉ. संजय कन्नौजे, एसडीएम उमाशंकर बंदे, उप कलेक्टर उत्तम सिंह पंचारी, कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक बीरबल साहू, प्रभारी उप संचालक कृषि आनंद सिंह नेताम, आंकाक्षी जिला फेलो अंकित पिंगले सहित जनपद मुख्य कार्याधिकारी उपस्थित थे।
स्वास्थ के लिये लाभकारी सीताफल
सीताफल, एननोना कुल से है। इसका वैज्ञानिक नाम एननोना स्क्वामोसा है। इसे अंग्रेजी में कस्टर्ड एप्पल या शुगर एप्पल कहते हैं। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बीमारियों से लडऩे में सहायता प्रदान करता है। यह विटामिन ए, कैल्शियम, कॉपर (तांबा), आयरन (लौहा), फाइबर (रेशा) पोटेशियम (पोटाश), मैग्नीशियम, प्रोटीन, फॉस्फोरस (स्फुर) और नियासिन जैसे पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है। यह खून में यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है। इसमें एंटी कैंसर गुण हैं। इसमें कई औषधीय गुण हैं। यह शरीर में पानी की कमी को दूर करता है। दस्त रोकता है।
ध्यान देने वाली बात है कि इसके फल के अतिरिक्त बीज, पत्तियाँ, जड़ आदि जहरीले होते हैं क्योंकि उनमें एल्कोलाइड्स और हाइड्रोसायनिक एसिड होता है। बीज को गर्म करने पर उससे निकला तेल कृषि में कीटों की रोकथाम के लिए उपयोगी होता है। इसके पौधे सूखा सहनशील होते हैं लेकिन कम पानी में यह अच्छे फल नहीं देता है। इसकी जड़ें बहुत अधिक गहरी नहीं जाती हैं। इसके पौधों के लिए पानी का ठहराव अच्छा नहीं होता है। इसलिए इसकी खेती के समय जल की निकासी होनी चाहिए।