नयी दिल्ली। सरकार को नये कीटनाशक विधेयक में उद्योग की चिंताओं को समझना चाहिए। राजेंद्र वेलागाला, अध्यक्ष, क्रॉपलाइफ इंडिया ने सोमवार, 30 सितम्बर 2019 को संस्था की 39वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही।
वार्षिक आम बैठक को पी. राघवेन्द्र राव, सचिव, रसायन और पेट्रोरसायन मंत्रालय, भारत शासन; प्रो. पंजाब सिंह, अध्यक्ष, नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साईंसेस; डॉ. अशोक दलवी, आईएएस, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नेशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत शासन; अश्विनी कुमार, संयुक्त सचिव (बीज और मशीनीकरण और प्रौद्योगिकी), कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत शासन; डॉ. पी.के. चक्रवती, सदस्य, एग्रीकल्चरल साईंटिस्ट रिक्रूटमेंट बोर्ड (एएसआरबी); सियान्घी तेन, कार्यकारी निदेशक, क्रॉपलाईफ एशिया; डॉ. के.सी. रवि, उपाध्यक्ष, क्रॉपलाईफ इण्डिया ने भी संबोधित किया।
राजेंद्र वेलागाला ने कहा कि सरकार को कीटनाशक प्रबंधन विधेयक में कीटनाशक उद्योग की चिंताओं को दूर करना चाहिए। इस विधेयक के संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित होने की संभावना है। कीटनाशक प्रबंधन विधेयक, जो कीटनाशक अधिनियम, 1968 की जगह लेगा। कीटनाशक प्रबंधन विधेयक में कीमतों को तय करके और एक नियामक प्राधिकरण की स्थापना करके कीटनाशक क्षेत्र को विनियमित करने की कोशिश की गई है।
राजेंद्र वेलागाला ने संस्था की 39वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ''सरकार को कीटनाशक प्रबंधन विधेयक में कीटनाशक उद्योग की चिंताओं का समाधान करना चाहिए।''
सरकार ने एक बयान में कहा, सरकार को डेटा संरक्षण व्यवस्था लाकर तथा फसल सुरक्षा उत्पादों की पंजीकरण समय सीमा को कम करते हुए इसे सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय प्रथाओं के अनुरूप बनाना चाहिये और नियामक सुधारों के साथ उसका अनुकूलन करना चाहिए।
राजेंद्र वेलागला ने कहा कि डिजिटलीकरण से दक्षता आयेगी और इसको अपनाने की गति हमारी प्रगतिशील नीतियों पर निर्भर करेगा। क्रॉपलाइफ, फसल संरक्षण के क्षेत्र में 18 अनुसंधान और विकास-उन्मुख सदस्य कंपनियों का एक संघ है। इन 18 कंपनियों की भारतीय कीटनाशक उद्योग में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी है और भारत में आने वाले नये कीटनाशकों के प्रस्तुतिकरण में 90 प्रतिशत इन कंपनियों की हिस्सेदारी है। सदस्य कंपनियाँ नये कीटनाशकों के अनुसंधान और विकास में विश्व स्तर पर वार्षिक लगभग 6 बिलियन यूएस डॉलर का खर्च करती हैं।
रसायन और पेट्रोरसायन मंत्रालय के सचिव पी. राघवेंद्र राव ने कहा, ''भारत में खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में कृषि रसायन की भूमिका महत्वपूर्ण है, विशेषकर इस तथ्य की रोशनी में यह महत्वपूर्ण माना जा सकता है कि वर्ष 2030 तक भारत के सबसे अधिक आबादी वाला देश बन जाने का अनुमान है।''
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव (बीज और मशीनीकरण और प्रौद्योगिकी) अश्विनी कुमार ने कहा, ''भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ड्रोन द्वारा फसल सुरक्षा उत्पादों के अनुप्रयोग पर एक अध्ययन कर रहा है जिसकी रिपोर्ट जल्द ही मंत्रालय को सौंपी जाएगी।'' उन्होंने कहा कि मंत्रालय इस दिशा में नजदीकी तालमेल के साथ काम कर रहा है और फसल सुरक्षा उत्पादों के उपयोग के लिए जल्द से जल्द ड्रोन अनुप्रयोगों के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा।
सरकार को नये कीटनाशक विधेयक में उद्योग की चिंताओं को समझना चाहिए: क्रॉपलाईफ इंडिया