प्याज के निर्यात प्रतिबंध से खुश नहीं किसान

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मुंबई। महाराष्ट्र स्थित एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगाँव कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) में सोमवार, 30 सितम्बर 2019 को प्याज की नीलामी बाधित हो गई। इसकी वजह किसानों का सरकार के प्याज निर्यात पर प्रतिबंध और प्याज भण्डारण पर सीमा लगाने के निर्णय के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन रहा है। किसान सरकार के निर्णय से कीमतों में आई गिरावट से नाराज होकर जोरदार प्रदर्शन करने लगे। सोमवार को मंडी में प्याज की कीमत 17 प्रतिशत या 6 रुपये किलो गिरकर 30 रुपये किलो रह गई और मंडी में करीब 500 टन प्याज की आवक हुई।
लासलगाँव एपीएमसी के अध्यक्ष जयदत्त सीताराम होलकर ने कहा कि सोमवार को किसानों द्वारा कम कीमत पर प्याज नहीं बेचने के कारण मंडी समिति में प्रदर्शन किया जिससे प्याज की नीलामी रोकनी पड़ी। लेकिन भण्डारण सीमा के बावजूद जल्दबाजी में कोई कार्रवाई नहीं करने हेतु जिला मजिस्ट्रेट से मिलने के अनुरोध के बाद शाम को नीलामी बहाल हो गई। लासलगाँव मंडी में हजारों की संख्या में किसान एकत्र हुए और कलेक्टर के कार्यालय की ओर मार्च निकाला। किसानों ने उमराने में मुंबई-आगरा राजमार्ग तथा नासिक-औरंगाबाद रोड पर जाम लगाकर रास्ता भी रोका।
सूत्रों के अनुसार कलेक्टर ने किसानों को भण्डारण सीमा दिशा निर्देर्शों का पालन करने के लिए कुछ दिनों का आश्वासन दिया। राज्य भर के किसान ऊँची कीमतों को देखकर उत्साहित होकर मंडी में प्याज बेचने आए। लेकिन किसानों को सरकार द्वारा खुदरा बिक्रेता पर 100 क्विंटल और थोक विक्रेता पर 500 क्विंटल की भण्डारण सीमा लगाने के निर्णय के बारे में जानकारी नहीं थी। भण्डारण सीमा और निर्यात पाबंदी के निर्णय से सोमवार को प्याज की कीमतें तेजी से गिरने के कारण किसान गुस्से में आ गए।
एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार को छह ट्रक प्याज की नीलामी हुई। इसमें न्यूनतम मूल्य 2,601 रुपये, अधिकतम 3,351 रुपये और औसत मूल्य 3,065 रुपये रहा। इस तरह औसत मूल्य में 600 रुपये की गिरावट आई। किसानों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने 21 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है और स्टॉक की सीमा लागू की है।
नासिक मंडी के एक बड़े प्याज के थोक कारोबारी और शिवकृपा ट्रेडर्स के संजय सनप ने कहा कि सरकार के भण्डारण सीमा लगाने के निर्णय ने प्याज किसानों को आत्महत्या करने को प्रोत्साहित किया है, जिन्होंने ऊँची कीमतों पर प्याज की बुकिंग की है, उन्हें अब कीमतें गिरने से भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। वे कैसे नुकसान की भरपाई करेंगे? संजय सनप ने बताया कि रविवार होने के कारण काफी किसानों को भण्डारण सीमा लगने की जानकारी नहीं थी। इसलिए वे बड़ी मात्रा में मंडी में प्याज लेकर आए लेकिन प्याज के दाम गिरना उनके लिए बड़ा झटका है।
श्री होलकर के अनुसार थोक व खुदरा कारोबारी सरकार द्वारा तय भण्डारण सीमा को नजरअंदाज कर सामान्य कारोबार करेंगे। नीलामी के माध्यम से प्याज खरीदकर कारोबारियों को प्याज की सॉर्टिंग, ग्रेडिंग और पैकिंग के लिए कम से कम दो दिन चाहिए। यह सामान्य कारोबारी अभ्यास है। यहाँ तक यदि थोक या खुदरा कारोबारी रोजाना क्रमश: 200 व 50 क्विंटल प्याज खरीदते हैं तब उनके पास अगले तीन दिन (शनिवार, रविवार व सोमवार) में क्रमश: 600 व 150 क्विंटल प्याज जमा हो जाएगी। इसलिए उन्हें भण्डारण सीमा के दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कुछ दिन देने की आवश्यकता है।
सरकार ने इससे पहले इस माह प्याज निर्यात पर 850 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य लगा दिया था। ताकि प्याज के निर्यात को हतोत्साहित कर इसकी कीमतों पर काबू पाया जा सके। इस समय देश भर के खुदरा बाजारों में प्याज के दाम 60-80 रुपये प्रति किलोग्राम चल रहे हैं। दिल्ली सरकार ने उपभोक्ताओं को राहत पहुँचाने के लिए 23.90 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर प्रति उपभोक्ता अधिकतम 5 किलोग्राम प्याज बेचना शुरू कर दिया है।