मूँगफली में सफेद इल्ली एवं टिक्का रोग से बचाव करें किसान

मूँगफली में सफेद इल्ली एवं टिक्का रोग से बचाव करें किसान
टीकमगढ़, रविवार, 1 सितम्बर 2019। कृषि विज्ञान केंद्र, टीकमगढ़ के वैज्ञानिक डॉ. बी.एस. किरार, डॉ. आर.के. प्रजापति एवं डॉ. एस.के. सिंह कृषि विभाग के ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी अरुण कुमार सोनी के साथ जतारा विकासखण्ड के गाँव ताल लिधौरा में 15 कृषकों के साथ संतोष पाल, पप्पू पाल और कल्याण सिंह के खेतों का निरीक्षण किया, जिसमें मूँगफली के खेतों में सफेद गिडार या इल्ली का प्रकोप देखा गया। इससे बचने के लिए कृषकों को खेत में निंदाई-गुड़ाई करके खरपतवार निकालने एवं मिट्टी चढ़ाने की सलाह दी।
सफेद इल्ली के प्रकोप से फसल को बचाने के लिए कार्बोफ्यूरान 3 जी. को 10 कि.ग्रा. प्रति एकड़ मात्रा को उतने ही वजन की मिट्टी/ बालू में मिलाकर खेत में सामान्य रूप से बिखरने की सलाह दी। मूँगफली में फफूँदी रोग जिसको स्थानीय भाषा में टिक्का (सरकोस्पोरा) रोग भी कहते हैं से बचाव के लिए दवा मैंकोजेब + मेटालेक्सिल की 3 ग्राम मात्रा को एक लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी। एक एकड़ में 10-12 स्प्रेयर पंप का छिड़काव करें। किसानों को मूँगफली की फसल को कतार में 45 सेंटीमीटर को दूरी पर बुवाई की सलाह दी गयी। साथ ही 20-25 दिन की फसल अवस्था में निंदाई-गुड़ाई कर मिट्टी चढ़ाने का कार्य अवश्य करना चाहिए। जिससे पौधों में फलियों की संख्या बढ़ जाती है।