मौसम के रौद्र रूप से जमीन बर्बाद: यूएन रिपोर्ट
नई दिल्ली, बुधवार, 4 सितम्बर 2019। भूमि के क्षरण के चार बड़े कारणों में से एक प्राकृतिक आपदाएं हैं। इनमें सूखा, बाढ़, कम समय में अधिक बारिश और अन्य मौसमी घटनाएं शामिल हैं। भूमि के बंजर होने के उपायों की रोकथान के लिए यहाँ चल रही संयुक्त राष्ट्र की कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (कॉप-14) की बैठक में प्रस्तुत एक शोध रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व भर से जुटाए गए आँकड़ों पर आधारित रिपोर्ट 'लैंड डिग्रडेशन न्यूट्रीलिटी टारगेट सेटिंग' के अनुसार भूमि की बर्बादी के चार बड़े कारण हैं। इनमें पहला कारण वनों का अंधाधुंध कटान है। दूसरा कारण आबादी में वृद्धि और संरचनात्मक ढांचे में बदलाव आना है। तीसरा बड़ा कारण कृषि योग्य भूमि का सही प्रबंधन नहीं होना और खेती के पुराने-तौर तरीकों का जारी रहना है। चौथा कारण मौसम की अतिवादी घटनाएं हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण मौसम ने पूरी दुनिया में रौद्र रूप धारण किया है, जिसका असर जमीन पर दिख रहा है।
एकत्र किए दो तरह के आँकड़े
रिपोर्ट में दो तरह के आँकड़े एकत्र किए गए हैं। एक आँकड़े राष्ट्रीय स्तर की स्थिति दर्शाते हैं, जबकि दूसरे किस्म के आँकड़े ऐसे हॉट स्पॉट को दर्शाते हैं जहाँ उपरोक्त कारणों के चलते जमीन का क्षरण हुआ है। ऐसे हॉटस्पॉट तेजी से विकसित हो रहे हैं। रिपोर्ट में छोटे-बड़े कुल 16 कारणों को भूमि के क्षरण के लिए जिम्मेदार माना गया है।