मध्यप्रदेश में सूखे मेवों पर लगाया जा रहा मंडी शुल्क समझ से परे: रमेश खंडेलवाल

मध्यप्रदेश में सूखे मेवों पर लगाया जा रहा मंडी शुल्क समझ से परे: रमेश खंडेलवाल
मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार 16 सूखे मेवों पर कृषि मंडी शुल्क लगाये जाने के प्रस्ताव का विरोध शुरू
इंदौर। मध्यप्रदेश में सूखे मेवों पर लगाया जा रहा मंडी शुल्क समझ से परे है। सियागंज होलसेल किराना मर्चेन्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कृषि मंत्री सचिन यादव से यहाँ सोमवार, 9 सितंबर 2019 को रेसीडेंसी कोठी में मिलकर यह माँग की। इंदौर का सियागंज किराना बाजार प्रदेश में सूखे मेवों के थोक कारोबार का सबसे बड़ा केंद्र है।
एसोसिएशन ने कृषि मंत्री से कहा, ''मध्यप्रदेश सूखे मेवों का उत्पादक राज्य नहीं है। प्रदेश में खपने वाले अधिकांश सूखे मेवे विदेशों से आयात होते हैं। ऐसे में यह बात हमारी समझ से परे है कि प्रदेश के इतिहास में सूखे मेवों पर पहली बार कृषि मंडी शुल्क लगाने की दिशा में किस आधार पर आगे बढ़ा जा रहा है?''
एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, ''अगर मध्यप्रदेश सरकार सूखे मेवों पर कृषि मंडी शुल्क लगाती है, तो इनका करोड़ों रुपये का थोक कारोबार पड़ोसी सूबों में चला जायेगा। इससे प्रदेश सरकार का कर राजस्व घटेगा। इसके साथ ही, खुदरा ग्राहकों पर महँगाई का बोझ बढ़ेगा।''
रमेश खंडेलवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार बादाम, खुबानी, काला मुनक्का, काजू, खजूर, अंजीर, पिस्ता और अखरोट समेत 16 सूखे मेवों को कृषि मंडी शुल्क के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। राज्य के किसान कल्याण और कृषि विकास विभाग ने इस सिलसिले में 14 अगस्त को राजपत्र में मध्यप्रदेश कृषि मंडी अधिनियम के सम्बद्ध प्रावधानों के तहत प्रस्ताव का प्रकाशन किया है। इस तारीख के छह हफ्ते के भीतर आपत्तियाँ और सुझाव प्रस्ताव पर विचार के लिये आमंत्रित भी किये हैं।
किराना कारोबारियों ने मोर्चा खोलते हुए कृषि विभाग से प्रस्ताव फौरन वापस लेने की माँग की है। रमेश खंडेलवाल ने कहा कि सचिव यादव ने भरोसा दिलाया कि वह कारोबारियों के उठाये मुद्दों पर गंभीरता से विचार कर उचित निर्णय लेंगे।