कृत्रिम मेधा और वृहद आँकड़े भारत के कृषि क्षेत्र के लिए पासा पलटने वाले: कृषि सचिव


नई दिल्ली। कृत्रिम मेधा और वृहद आँकड़े कृषि क्षेत्र के लिए पासा पलटने वाले साबित हो सकते हैं और सरकार वर्ष 2020 तक इस तरह के 80 प्रतिशत आँकड़े जुटाने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है। संजय अग्रवाल, सचिव, कृषि और किसान कल्याण विभाग, भारत शासन ने गुरुवार, 26 सितम्बर 2019 को यहाँ तीसरे 'इंडिया एग्रीकल्चर आऊटलुक फोरम' की बैठक को संबोधित करते हुए यह विचार व्यक्त किए।
दो दिन की इस बैठक में विभिन्न विषयों की चर्चा करते हुए श्री अग्रवाल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और वृहद आँकड़ें (बिग डाटा) बड़ी भूमिका निभा सकते हैं, क्योंकि डाटा लक्षित विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। 
उन्होंने कहा कि सरकार को पीएम-किसान योजना शुरू करने के दौरान किसानों के बारे में प्राप्त आँकड़ों का लाभ उठाने का एहसास हुआ। संजय अग्रवाल ने कहा, ''हम विभिन्न कृषि-योजनाएँ चलाते हैं और प्रत्येक योजना के तहत बहुत से आँकड़े जमा हुए है। हम योजना के बेहतर लक्ष्यीकरण के लिए इन आँकड़ों का लाभ उठा सकते हैं। वर्ष 2020 तक, हमारे पास किसानों के 80 प्रतिशत आँकड़े एकत्रित होंगे और यह 'बड़ा बदलाव लाने वाला' साबित होगा।''


उन्होंने कहा कि ये आँकड़े, सही नीति बनाने में मदद करेंगे और किसानों और समग्र क्षेत्र के लक्षित विकास को प्राप्त करने के लिए कुछ परियोजनाओं को परस्पर जोडऩे में मदद करेंगे। पहले से ही, सरकार ने प्रमुख योजनाओं के तहत पंजीकृत किसानों के आँकड़ों को टटोलना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि ये आँकड़े, मृदा स्वास्थ्य, किसान क्रेडिट कार्ड, फसल बीमा और यहाँ तक कि भूमि जोत के डिजिटलीकरण से संबंधित हैं। इसका उपयोग किसानों और उनकी उपज की वास्तविक स्थिति को समझने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि आईबीएम के वॉटसन डिसिजन प्लेटफॉर्म के साथ सहयोग से मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के चार जिलों में एक पायलट परियोजना प्रारंभ की गई है, ताकि किसानों को मौसम की जानकारी, मिट्टी की नमी के बारे में सूचना प्रदान करके किसानों को जल और फसल प्रबंधन के बारे में निर्णय लेने में मदद की जा सके।
सचिव ने फसल बीमा योजना में हुई प्रगति तथा फसल क्षति का आकलन करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में भी बात की। कुछ फसलों विशेषकर तिलहन की कमी की समस्या पर, उन्होंने कहा कि सरकार ने दालों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल की है, और तिलहन के मामले में भी समान स्थिति को हासिल करने और खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।