केंचुआ और उससे तैयार जैविक केंचुआ खाद ने गरीबी से उबारकर बनाया लखपति

Farmer Chatrasal Pateriya village Sanora of Datia district from MP earning from organic fertilizer Vermi compost 1 September 2019


केंचुआ और उससे तैयार जैविक केंचुआ खाद ने गरीबी से उबारकर बनाया लखपति
दतिया, रविवार, 1 सितंबर 2019। मध्य प्रदेश के दतिया जिले के छोटे से गाँव सनोरा के मेहनती किसान छत्रसाल पटेरिया ने यह साबित कर दिखाया है कि सच्ची लगन से कोई भी काम किया जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। किसान ने केंचुओं से तैयार जैविक केंचुआ खाद की अधिक बिक्री की तथा कम लागत में अधिक उपज प्राप्त कर इतनी कमाई कर ली कि वह गरीबी से मुक्त होकर चंद दिनों के भीतर लखपति बन गए।
दतिया जिला मुख्यालय से करीब 21 किलोमीटर की दूरी पर बसा है सनोरा गाँव। इस गाँव में अधिकांश लोग पढ़े-लिखे हैं। यहाँ की मुख्य फसल गेहूँ, चना, मसूर, उड़द, मूँगफली, तिल है। छत्रसाल हाईस्कूल पास हैं। झांसी में अपनी पढ़ाई के दौरान किसान ने शिवपुरी जिले के दिनारा गाँव में संतरा, अमरूद, मौसमी के बागानों की जमीन में केंचुआ खाद से फलों का भरपूर उत्पादन होता देखा था।
किसान की आर्थिक स्थिति जैविक खेती शुरू करने के पहले तक खराब थी। बड़ी मुश्किल से संयुक्त परिवार का गुजारा हो पाता था। आमदनी मामूली थी, इसलिए आर्थिक समस्या हमेशा बनी रहती थी। बीज फेंककर बोने की पद्धति (फर्द पद्धति) से खेती करने से उत्पादन कम होता था। इससे मुक्ति पाने के लिए छत्रसाल जैविक खेती का सपना देखा करते थे, जिसे उद्यानिकी विभाग ने पूरा किया।
उद्यानिकी विभाग ने केंचुओं से जैविक केंचुआ खाद तैयार करने हेतु केंचुआ खाद के नाडेप टांके एवं शैड निर्माण के लिए साढ़े आठ हजार रुपये का अनुदान और एक किलो केंचुए दिलवाए। पहले साल में ही छत्रसाल ने केंचुओं और उससे तैयार खाद से चालीस हजार रुपये कमाए। जैविक खेती की कमाई के बाद छत्रसाल का बैंक खाता भरते देर नहीं लगी। इस कमाई से छत्रसाल ने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई। एक बेटा और एक बेटी को पी.एच.डी कराई, दो बच्चों की शादी कराई, मकान बनवाया तथा तीन ट्रैक्टर खरीदे, दो कुआं खुदवाए और उनमें पाँच मोटरें लगवाईं तथा तीन मोटर साईकिलें खरीदी और सोलर पैनल लगवाने में अपने हिस्से की चालीस हजार रुपये की राशि भी मिलाई।
छत्रसाल पटेरिया बेबाकी से कहते हैं, ''पहले हमारे दिन ठीक नहीं थे, इसलिए हर जरूरत के लिए गाँव के प्रधान की तरह देखना पड़ता था, लेकिन जैविक खाद एवं जैविक खेती ने उनकी किस्मत बदल दी। जैविक खाद प्रकृति की प्रवृत्ति के अनुसार चलने वाली खाद है, जिसके फायदे ही फायदे हैं।''
छत्रसाल पटेरिया आज भी केंचुआ खाद की बिक्री करते हैं और अपने खेतों में भी उसी खाद का उपयोग करते हैं। वह उन्नत खेती और भरपूर उत्पादन लेने के लिए राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय तमाम पुरस्कार पा चुके हैं। अन्य गाँवों के किसान भी उनसे केंचुआ खाद के गुर सीख चुके हैं।
इनका कहना है
''किसानों के लिए जैविक खाद का उत्पादन एवं जैविक खेती बहुत फायदेमंद है। इसकी खेती के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है।'' -बी.एस जामोद, कलेक्टर, जिला दतिया।
''जैविक खाद के उपयोग से फसल का उत्पादन कई गुना बढ़ जाता है। जैविक खेती के लिए किसानों को सदैव तकनीकी मार्गदर्शन दिया जाएगा।'' -रणवीर सिंह नरवरिया, सहायक संचालक, उद्यानिकी, जिला दतिया।