बुरहानपुर। केला अनुसंधान केन्द्र जलगाँव के वैज्ञानिकों द्वारा शुक्रवार, 25 सितम्बर 2019 को जिले में भ्रमण किया। वैज्ञानिकों द्वारा ग्राम जैनाबाद, शाहपुर एवं दापोरा के किसानों के खेतों में जाकर केला फसलों का निरीक्षण किया गया।
संयुक्त दल में वरिष्ठ वैज्ञानिक केला अनुसंधान केन्द्र जलगाँव डॉ. एन.बी. शेख, उपसंचालक उद्यान विभाग आर.एन.एस. तोमर, कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजीतसिंह एवं ग्रामीण उद्यान विस्तार ओमप्रकाश पाटील सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
उप संचालक उद्यानिकी ने जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में बारिश एवं बदले हुए मौसम के कारण केले की फसल में विषाणु का आक्रमण देखा गया है। इस विषाणु की रोकथाम के लिए केला फसल कृषकों को उपयोगी सलाह दी गई है। कृषक रोगग्रस्त पौधों को जड़ सहित उखाड़कर खेत से दूर ले जाकर फेंक दे और उस स्थान पर नये रोग रहित पौधे का रोपण करें। खेत के आसपास एवं अंदर साफ-सफाई अवश्य करें। बगीचे के अंदर बेलवर्गीय फसलें जैसे लौकी, कद्दू, गिलकी, टमाटर आदि फसलें नहीं लगायें। जैविक खा और सूक्ष्म पौषक तत्व जिंक सल्फेट 5 प्रतिशत का उपयोग करें। निर्धारित खाद की मात्रा समयानुसार ड्रिप के माध्यम से या पौधे के पास दें।
इस रोग के निदान के लिए समस्त किसानों को सामूहिक रूप से अभियान चलाकर रोग नियंत्रण के उपाय करने होंगे। प्रभावित खेत में बीमारी फैलाने वाले कीट के नियत्रंण हेतु रसायनों क्लोरोपायरीफास 45 मि.ली. + एसीफेट 15 ग्राम + चिपचिपा पदार्थ 15 मि.ली. + नीम तेल 50 मि.ली. को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें या इमिडाक्लोरोपिड 6 मि.ली. + एसीफेट 15 ग्राम + चिपचिपा पदार्थ 15 मि.ली. + नीम तेल 50 मि.ली. 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
छिड़काव करने से पूर्व बगीचा साफ कर लें। छिड़काव साफ मौसम में ही करना सुनिश्चित करें।
केला अनुसंधान केन्द्र जलगाँव के वैज्ञानिकों द्वारा केला फसल का निरीक्षण