गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले किसान बाबूलाल परिहार बने करोड़पति

Progressive Farmer Babular Parihar from Tehsil Kukshi District Dhar MadhyaPradesh
धार, गुरुवार, 26 सितम्बर 2019। इंदौर संभाग के धार जिले के कुक्षी तहसील के ग्राम बड़दा के कृषक बाबूलाल पिता स्व. औंकार परिहार ने कक्षा 8वीं तक पढ़ाई की। आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण वह खेतीबाड़ी में ध्यान केन्द्रित किया। उन्होंने 8 रुपये प्रतिदिन के मान से मजदूरी करना प्रारंभ की और 12 रुपये तक की प्रतिदिन की मजदूरी गाँव में तथा इन्दौर में की है।  वर्तमान में उनके पास 13 एकड़ स्वयं की कृषि भूमि है।
कृषक बाबूलाल परिहार ने बताया कि पूरे मध्यप्रदेश में धार जिला वर्ष 2002 से 2005-06 में सफेद मूसली की खेती का केन्द्र रहा था। लेकिन उन्होंने वर्ष 1999 में धार में मध्यप्रदेश सरकार की प्रशिक्षण संस्था सेडमेप से तीन दिवस का प्रशिक्षण प्राप्त किया। तब वे गरीबी रेखा के नीचे आते थे। जड़ी-बूटी (औषधीय पौधे) की खेती करके कृषि उपकरण ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, रोटावेटर, सीड ड्रिल इत्यादि क्रय किए।
वर्तमान में स्वयं की भूमि के अलावा उन्होंने अनुबंध करके 11 एकड़ कृषि भूमि अन्य किसानों से ली है। जिसमें 7 एकड़ में मक्का, 6 एकड़ में मिर्ची, साढ़े तीन एकड़ में शतावरी, 3 एकड़ में भिंडी, 2 एकड़ में सफेद मूसली और 2 एकड़ में टमाटर की फसल ले रहे हैं।
कृषक ने बताया कि सफेद मूसली का 2 एकड़ क्षेत्र में 5 क्विंटल बीज लगाया जाता है और उत्पादन 5 से 7 गुना होता है। प्रति एकड़ लगभग 35 क्विंटल उत्पादन होता है। कुल 70 क्विंटल सफेद मूसली का उत्पादन होता है। 21 लाख रुपये की फसल आ जाती है। सभी खर्च काटकर 5 से 6 लाख रुपये प्रति एकड़ की बचत हो जाती है। इस प्रकार कुल 12 लाख रुपये की शुद्ध आय प्राप्त कर लेते है। सफेद मूसली की फसल घर बैठे ही बिक जाती है।



उन्होंने बताया कि मिर्ची के 52 हजार पौधे अंजड़ में स्थित गुरुकृपा नर्सरी से क्रय कर लगाए थे। यह मिर्ची के पौधे डेढ़ रुपये प्रति पौधा के मान से कुल 78 हजार रुपये के पौधे खरीदे गए थे। 180 क्विंटल मिर्ची की फसल बेची है जिसमें 3 लाख 25 हजार रुपये प्राप्त हुए है। वर्ष भर में मिर्ची की दो फसलें ली जाती है। एक फसल में 6-7 बार मिर्ची की तुड़ाई की जाती है। वर्ष भर की फसल में 22 लाख रुपये की मिर्ची का उत्पादन हो जाता है।
उन्होंने बताया कि मिर्ची के साथ ही 42 किलो मक्का की फसल भी बोई है। मिर्ची की फसल आने के बाद मक्का की फसल आऐगी। जिससे उनकी जमीन खाली नहीं रहेगी और मिर्ची के तुरन्त बाद लगभग 210 क्विंटल मक्का का उत्पादन होगा। जिससे उनकी माली हालत में सुधार करने में मदद मिलेगी। 
बाबूलाल परिहार ने बताया कि इस वर्ष से उन्होंने औषधीय फसल नेपाली शतावरी की साढ़े तीन एकड़ क्षेत्र में खेती करना प्रारंभ किया है। एक एकड़ में 12 हजार पौधे के मान से कुल 42 हजार पौधे लगाए गए हैं। यह पौधे उत्तरप्रदेश के बरेली जिले से बुलवाएं गए है। यह फसल 18 माह में पक जाएंगी। इस पौधे की जड़ 5 से 7 किलो ग्राम तक का होता है। एक एकड़ क्षेत्र में 25 से 35 क्विंटल सुखी जड़ प्राप्त होती है। जिसका बाजार भाव 275 रुपये से 290 रुपये प्रति किलो के मान से 27 हजार रुपये प्रति क्विंटल प्राप्त होगा। आज की स्थिति में 10 से 12 लाख रुपये का शुद्ध लाभ होने का अनुमान है। गिली जड़ बेचने से 12 से 15 लाख रुपये प्रति एकड़ की राशि प्राप्त होगी। जड़ छिलाई प्रसंस्करण पर एक लाख से डेढ़ लाख रुपये तक प्रति एकड़ का खर्च आऐगा। इसमें केवल निदाई-गुड़ाई का खर्च होता है। इसके अलावा कोई खर्चा नहीं है। इस फसल में गोबर व जैविक खाद का ही उपयोग किया जाता है।


Progressive Farmer Babular Parihar from Tehsil Kukshi District Dhar MadhyaPradesh in Chilli Field
कृषक ने बताया कि वह 2 एकड़ क्षेत्र में गुरुकृपा नर्सरी अंजड़ से डेढ़ रुपये प्रति पौधे के मान से 13,800 पौधे 20,700 रुपये में पौधे लाकर टमाटर की खेती कर रहे है। इससे 500 क्विंटल टमाटर का उत्पादन होगा, जो कि 5 लाख रुपये की कीमत रखता है। इसमें सभी खर्च काटकर 3 लाख रुपये की शुद्ध आय हो जाती है। मिर्ची के तर्ज पर व्यापारियों का गाँव में ही बाहर के व्यापारियों को बेची जाती है।
उन्होंने 3 एकड़ क्षेत्र में 8 किलो भिंडी बीज कुल 27 हजार 200 रुपये में खरीदकर बोया है। दीपावली से इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। पूर्व की फसल से 15 से 20 हजार रुपये की आय प्राप्त की जा चुकी है।
बाबूलाल परिहार के अनुसर अब उनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही सुदृढ़ है। 10 एकड़ जमीन क्रय की गई है। इतना ही नहीं 4,000-4,000 वर्गफीट के दो भूखण्ड क्रय किए हैं और 3 पक्के मकान भी बनाएं हैं।


Progressive Farmer Babular Parihar from Tehsil Kukshi District Dhar MadhyaPradesh
यह सब औषधीय फसलों की खेती करने संभव हो सका है। उन्होंने 50 प्रकार की दुर्लभ प्रजाति के औषधीय पौधों का सरंक्षण करने का कार्य भी हाथ में लिया है। उनके पास एक गीर गाय, एक निमाड़ी देशी गाय तथा दो भैंसे हैं। प्रतिदिन 20 लीटर का दूध विक्रय कर रहे है, जिससे प्रतिदिन 800 रुपये की आमदनी हो रही है। मात्र दूध से प्रतिमाह 24 हजार रुपये की आय अर्जित कर रहे है। इतना ही नही इन्होंने 500 सागौन के पेड़़ भी लगाए है।
श्री परिहार ने बताया कि उन्होंने अपने पास उपलब्ध सभी कृषि उपकरण बेच दिए हैं और वर्तमान में वह किराए के कृषि उपकरणों का उपयोग कर खेती कर रहे हैं। प्रतिदिन 20 मजदूरों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। उनका इकलौता बेटा शासकीय सेवा छोड़कर खेती के कार्य में हाथ बटा रहा है।