गन्ना रस से प्राप्त इथेनॉल की कीमत 59.48 रुपये प्रति लीटर तय की गई

Sugarcane


गन्ना रस से प्राप्त इथेनॉल की कीमत 59.48 रुपये प्रति लीटर तय की गई
इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2018-19 में अनुमानित 200 करोड़ लीटर से अधिक हो गई है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने मंगलवार, 3 सितंबर 2019 को 1 दिसंबर, 2019 से 30 नवंबर, 2020 तक इथेनॉल आपूर्ति वर्ष के दौरान आगामी चीनी उत्पादन मौसम 2019-20 के लिए इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईपीबी) कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न कच्चे मालों से निॢमत इथेनॉल की कीमत तय कर दी है।
यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब सरकार वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एथनॉल मिश्रण के जरिये कच्चे तेल आयात बिल की बचत में कम से कम 28 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद जता रही है। वित्त वर्ष 2019-20 के लिए तेल आयात बिल में बचत 7,000 करोड़ रुपये पर रहने का अनुमान जताया गया है जो 2018-19 में 5,456 करोड़ रुपये और 2017-18 में 5,070 करोड़ रुपये थी।
एथनॉल शीरे का उप-उत्पाद है। सी हेवी मोलेस तरीके से प्राप्त इथेनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रतिलीटर से बढ़कर 43.75 रुपये प्रति लीटर होगी। बी हेवी मोलेस तरीके से प्राप्त इथेनॉल की कीमत 52.43 रुपये प्रतिलीटर से बढ़कर 54.27 रुपये प्रति लीटर होगी। गन्ना रस/ चीनी/ चीनी सिरप तरीके से प्राप्त इथेनॉल की कीमत 59.48 रुपये प्रति लीटर तय की गई है। इसके अलावा जीएसटी और परिवहन शुल्क भी देय होंगे। तेल कंपनियों को वास्तविक परिवहन शुल्क तय करने का सुझाव दिया गया है, ताकि इथेनॉल का लंबी दूरी तक परिवहन हतोत्साहित न हो। तेल कंपनियों को इथेनॉल के लिए निम्न प्राथमिकता के साथ आपूर्ति जारी रखने की सलाह दी गई है- 1) गन्ना रस/ चीनी/ चीनी सिरप 2) बी हेवी मोलेस 3) सी हेवी मोलेस और 4) खराब खाद्यान्न/ अन्य स्रोत।
सभी डिस्टिलरी इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं और डिस्टिलरियों की बड़ी संख्या ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथेनॉल की आपूर्ति कर सकती है। इथेनॉल आपूर्तिकर्ताओं को लाभकारी कीमत मिलने से गन्ना किसानों की बकाया राशि को कम करने में मदद मिलेगी। यह प्रक्रिया गन्ना किसानों की समस्या को कम करने में योगदान देगी।
सभी गन्ना आधारित तरीकों से प्राप्त इथेनॉल की खरीद के लिए अधिक कीमत की पेशकश के कारण, आंशिक तौर पर गन्ना जूस तरीके और शत प्रतिशत  गन्ना जूस तरीके के साथ-साथ पहली बार इथेनॉल के उत्पादन के लिए चीनी और चीनी सिरप की अनुमति देने से, ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथेनॉल की उपलब्धता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की आशा है। पेट्रोल में अधिक मात्रा में इथेनॉल के मिश्रण के कई फायदे हैं, जैसे- आयात पर निर्भरता में कमी, कृषि क्षेत्र को समर्थन, अधिक पर्यावरण अनुकूल ईंधन, कम प्रदूषण और किसानों के लिए अतिरिक्त आय।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम को लागू करती रही है, जिसके तहत तेल कंपनियों द्वारा अधिकतम 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल की बिक्री की जाती है। यह कार्यक्रम 1 अप्रैल, 2019 से केन्द्र शासित प्रदेश अण्डमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपसमूह को छोड़कर पूरे भारत में विस्तारित किया गया है, ताकि वैकल्पिक और पर्यावरण अनुकूल ईंधनों के उपयोग को बढ़ावा मिले। इससे ऊर्जा संबंधी जरूरतों के लिए आयात पर निर्भरता घटेगी और कृषि क्षेत्र को बल मिलेगा।
सरकार ने 2014 से इथेनॉल की कीमत निर्धारित करने और उसे अधिसूचित करना शुरू किया था। पहली बार वर्ष 2018 के दौरान, सरकार द्वारा इथेनॉल के उत्पादन के लिए व्यवहृत कच्चे माल के आधार पर इथेनॉल की कीमत घोषित की गई थी। इन निर्णयों से इथेनॉल की आपूर्ति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। इसके परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा इथेनॉल की खरीद इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2013-14 में 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 2018-19 में अनुमानित 200 करोड़ लीटर से अधिक हो गई है।
निरंतर चीनी के अतिरिक्त उत्पादन से चीनी की कीमत पर दवाब पड़ रहा है। इसके बाद, किसानों के भुगतान के लिए चीनी उद्योग की कम क्षमता के कारण गन्ना किसानों की बकाया राशि बढ़ गई है। सरकार ने गन्ना किसानों की बकाया राशि में कमी लाने के लिए कई निर्णय किए हैं।
देश में चीनी का उत्पादन सीमित करने और इथेनॉल का घरेलू उत्पादन बढ़ाने की दृष्टि से, सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए बी-हैवी मोलेसों और गन्ना रस को मिलाने की अनुमति देने सहित, कई कदम उठाए हैं। मिल पर चीनी की कीमत और रूपान्तरण लागत में परिवर्तन होने के कारण, गन्ना आधारित विभिन्न कच्चे मालों से निॢमत इथेनॉल की मिल पर कीमत की समीक्षा करने की जरूरत है। उद्योग जगत की यह भी माँग है कि इथेनॉल के उत्पादन के लिए चीनी और चीनी सिरप को शामिल किया जाए, ताकि चीनी मिलों में उपलब्ध भंडार और नकद प्रवाह से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने में मदद मिले।
पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण बढऩे से वार्षिक 20 लाख टन तेल की बचत होगी: धर्मेंद्र प्रधान
सीसीईए द्वारा लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियाँ पेट्रोल में मिश्रण के लिए चीनी मिलों से एथनॉल बढ़ी हुई दरों पर खरीदेंगी। उन्होंने कहा कि एथनॉल की खरीद दिसंबर-नवंबर 2019-20 में बढ़ कर 260 करोड़ लीटर रहने का अनुमान है। पिछले वर्ष यह मात्रा 200 करोड़ लीटर थी। उन्होंने कहा कि पेट्रोल में एथनॉल का मिश्रण बढऩे से वार्षिक 20 लाख टन तेल की बचत होगी। इससे आयात बिल में एक अरब डॉलर की बचत में मदद मिल सकती है। 
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि पेट्रोल में एथनाल का मिश्रण अगले साल 7 प्रतिशत तक पहुँच जाएगा। अभी यह 6 प्रतिशत है। वर्ष 2021-22 तक इसे बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाएगा। इससे पहले एथनॉल के दाम में पिछले साल सितंबर में संशोधन किया था। उस समय मंत्रिमंडल ने गन्ने के रस से बने एथनॉल के दाम में 25 प्रतिशत की वृद्धि कर 59.13 रुपये लीटर किया गया था। अब इसे बढ़ाकर 59.48 रुपये लीटर किया गया है।
चीनी उद्योग ने इस कदम का स्वागत किया है क्योंकि इससे उनके निवेश को लेकर स्थिति स्पष्ट हुई है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने एक बयान में कहा कि सरकार का एथनॉल के दाम में वृद्धि का निर्णय अतिरिक्त गन्ने के चीनी को एथेनॉल बनाने में उपयोग को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता दर्शाता है। उन्होंने कहा कि 100 प्रतिशत या आंशिक गन्ना रस के से बने एथनॉल के उच्च दाम की पेशकश इस दिशा में एक और महत्त्वपूर्ण कदम है। इससे पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण का अनुपात मौजूदा 6 प्रतिशत की तुलना में और बढ़ेगा। ये सभी प्रयास देश में अतिरिक्त चीनी को खपाने और चीनी मिलों की नकदी स्थिति में सुधार लाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।