धान की अधिक खरीद करें या धान आधारित एथनॉल का दाम बढ़ायें: भूपेश बघेल
नई दिल्ली। धान की अधिक खरीद करें या धान आधारित एथनॉल का दाम बढ़ायें। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार, 25 सितंबर 2019 को केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान से भेंट कर इस मामले पर विस्तार से चर्चा की।
भूपेश बघेल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ''हम मुख्य रूप से चावल उत्पादक राज्य हैं। हमने पिछले साल केंद्रीय पूल में 24 लाख टन चावल का योगदान दिया था। हमने केंद्र से इस साल राज्य से 32 लाख टन धान खरीदने का अनुरोध किया है।'' सूत्रों ने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री को बताया गया कि केंद्रीय पूल में 250 लाख टन अनाज का अतिरिक्त स्टॉक है और अधिक अनाज रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। हालांकि, रामविलास पासवान ने राज्य के मुख्यमंत्री को उनकी चिंता का समाधान करने का आश्वासन दिया और खाद्य सचिव को कुछ समाधान खोजने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा कि हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि धान की कटाई शुरु होने से पहले केंद्र सरकार या तो राज्य से अधिक धान की खरीद करे या फिर किसानों के हितों की रक्षा के लिए चावल आधारित एथनॉल के लिए ऊँची दर तय करे। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान से भेंट की और इस मामले पर विस्तार से चर्चा की क्योंकि राज्य में धान खरीद का काम नवंबर में शुरू होने वाला है। उन्होंने कहा कि चावल के भूसे से एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के तरीकों के बारे में चर्चा की।
सूत्रों ने बताया कि उन्होंने बैठक में कहा कि धान आधारित एथनॉल की दर काफी कम यानी 47 रुपये प्रति लीटर ही है जबकि गन्ना आधारित एथनॉल की निर्धारित वर्तमान दर 59 रुपये प्रति लीटर तय की गई है। वर्तमान में किसानों के लिए एथनॉल उत्पादन के लिए अपनी फसल में बदलाव लाना आर्थिक रूप से व्यवहारिक नहीं है।
भूपेश बघेल ने आगे कहा कि अगर केंद्र चावल आधारित एथनॉल के लिए ऊँची दर तय करता है, तो यह राज्य में एथनॉल कारखानों की स्थापना को प्रोत्साहित करेगा। सूत्रों ने कहा कि ऐसी स्थिति में राज्य अधिक चावल खरीदने के लिए केंद्र पर दबाव नहीं डालेगा क्योंकि अधिशेष उत्पादन को एथनॉल बनाने के लिए स्थानांतरित कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि राज्य काले, लाल और हरे रंग में विशेष चावल का उत्पादन करता है और वह इन चावलों को केंद्रीय पूल में देने के लिए उत्सुक नहीं है। इसके बजाय, वह किसानों को बेहतर कीमत सुनिश्चित करने के लिए इसके निर्यात को बढ़ावा देना चाहता है।