छत्तीसगढ़ के नवाचारी मशरूम उत्पादक राजेन्द्र साहू सम्मानित

Chhattisgarh Mashroom Producer Farmer Rajendra Sahu


छत्तीसगढ़ के नवाचारी मशरूम उत्पादक को मिला राष्ट्रीय सम्मान
खेतों में खुले में पैरा मशरूम उत्पादन के लिए राजेन्द्र साहू सम्मानित
रायपुर, गुरुवार, 12 सितंबर 2019। छत्तीसगढ़ के नवाचारी मशरूम उत्पादक किसान राजेन्द्र कुमार साहू को मशरूम उत्पादन में नवाचार तथा उपलब्ध संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ है। महासमुंद जिले के बसना विकासखण्ड के ग्राम पटियापाली के किसान राजेन्द्र कुमार साहू को मशरूम अनुसंधान निदेशालय, सोलन (हिमाचल प्रदेश) द्वारा प्रगतिशील मशरूम उत्पादक सम्मान से नवाजा गया है। श्री साहू को यह सम्मान उनके खेतों में आम के वृक्षों के नीचे खुले में पैरा मशरूम उत्पादन की नई तकनीक विकसित करने के लिए प्रदान किया गया है। श्री साहू इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की मशरूम अनुसंधान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में विगत 12 वर्षों से मशरूम का उत्पादन एवं विपणन कर रहे हैं। वे अपने खेतों में प्रतिदिन 3 से 5 किलो पैरा मशरूम की फसल ले रहे हैं जो उनके खेत से ही 200 से 300 रुपये प्रति किलो की दर पर बिक्री हो जाती है।


Chhattisgarh Mashroom Producer Farmer Rajendra Sahu
उल्लेखनीय है कि मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन द्वारा 10 सितंबर को मशरूम मेले का आयोजन किया गया था जहाँ छत्तीसगढ़ के मशरूम उत्पादक किसान राजेन्द्र साहू को नवीन एवं प्रगतिशील मशरूम उत्पादक के रूप में सम्मानित किया गया। निदेशालय के वैज्ञानिकों द्वारा पिछले वर्ष इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के मशरूम वैज्ञानिकों के साथ श्री साहू के प्रक्षेत्र का भ्रमण किया गया था और उनके द्वारा विकसित खुले में पैरा मशरूम उत्पादन तकनीक की सराहना की थी। इस तकनीक में उनके द्वारा आम के पेड़़ों की छांव में लोहे की पाईपों पर धान के गट्ठों में पैरा मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है।
गौरतलब है कि श्री साहू मशरूम उगाने के लिए मशरूम स्पॉन (बीज) का उत्पादन भी स्वयं ही करते हैं। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटील के निर्देश पर मशरूम अनुसंधान प्रयोगशाला द्वारा उन्हें मशरूम स्पॉन तैयार करने हेतु आवश्यक प्रशिक्षण तथा उपकरण प्रदान किये गये हैं। श्री साहू मशरूम उत्पादन के उपरान्त अवशिष्ट पदार्थ से केंचुआ खाद का निर्माण एवं विक्रय भी करते हैं। इसके साथ ही वे आस-पास के कृषकों को केंचुओं का विक्रय कर अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त कर रहे हैं।