बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनियाँ प्लास्टिक के स्थान पर वैकल्पिक पैकेजिंग की तलाश करें: रामविलास पासवान

रामविलास पासवान, केंद्रीय मंत्री खाद्य और उपभोक्ता मामले विभाग सोमवार, 9 सितंबर 2019 को नयी दिल्ली बोतलबंद पानी उद्योग और विभिन्न सरकारी विभागों के साथ बैठक करते हुए।बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनियाँ प्लास्टिक के स्थान पर वैकल्पिक पैकेजिंग की तलाश करें: रामविलास पासवान
नयी दिल्ली। बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनियाँ प्लास्टिक के स्थान पर वैकल्पिक पैकेजिंग की तलाश करें। रामविलास पासवान, केंद्रीय मंत्री खाद्य और उपभोक्ता मामले विभाग ने सोमवार, 9 सितंबर 2019 को यहाँ यह बात कही।
उन्होंने कहा कि प्लास्टिक के कुप्रभाव के कारण उनका मंत्रालय प्लास्टिक की बोतल में पेयजल के उपयोग पर पाबंदी का पक्षधर है। श्री पासवान ने कहा कि स्वास्थ्य और पर्यावरण पर प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के कारण बोतलबंद पानी की पैकेजिंग में अन्य वैकल्पिक पैकेजिंग की तलाश की जानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में मंत्रिमंडल सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया है। इस समिति को एक ही बार में या चरणबद्ध तरीके से एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर गौर करने के लिए कहा गया है।
श्री पासवान ने बताया कि बोतलबंद पानी उद्योग और विभिन्न सरकारी विभागों के साथ बैठक में पीने के पानी को पैकबंद करने के लिए एकल उपयोग वाली प्लास्टिक की बोतलों का उपयुक्त विकल्प खोजने के बारे में विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में, उपभोक्ता मामलों के सचिव ए.के. श्रीवास्तव, पर्यावरण और रासायनिक मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), खाद्य नियामक एफएसएसएआई, आईआरसीटीसी के वरिष्ठ अधिकारी, उपस्थित थे।
बैठक के बाद संवाददाताओं से चर्चा करते हुए रामविलास पासवान ने कहा, ''मानव और पशुओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने में प्लास्टिक की बड़ी भूमिका है। हमने गायों के पेट में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक पाये जाने की खबरें सुनी है। श्री पासवान ने कहा कि प्लास्टिक की 'रीसाइक्लिंग (पुनर्चक्रीकरण)' भी कोई स्थायी समाधान नहीं है, इसलिए एक विकल्प खोजने की जरूरत है, जो समान रूप से सस्ती और विश्वसनीय हो। उन्होंने कहा कि शुद्ध कागज की बोतल भी कोई विकल्प नहीं हो सकता क्योंकि उससे बनने वाले पैक में कुछ प्लास्टिक मिला होता है।
श्री पासवान ने कहा, ''हमें इस बैठक के दौरान पैकबंद पेयजल का कोई ठोस विकल्प नहीं मिला है। इसलिए, मैंने सभी निर्माताओं से अपने सुझाव भेजने को कहा है। उनकी सिफारिशों को प्रधानमंत्री कार्यालय और अंतर-मंत्रालयी समिति को भेजा जायेगा। इस बारे में सरकार द्वारा अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
रामविलास पासवान ने कहा ''मैं अपील करना चाहता हूं कि प्लास्टिक की वजह से प्रदूषण और विभिन्न बीमारियाँ फैलती हैं। पुनर्चक्रण एक विकल्प है लेकिन यह एक स्थायी समाधान नहीं है। स्थायी समाधान यह है कि प्लास्टिक को हटाया जाना चाहिए और इस पर प्रतिबंध होना चाहिए।''
श्री पासवान से जब इस प्रतिबंध के कारण उद्योग और अर्थव्यवस्था पर होने वाले प्रभावों के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि इस प्रतिबंध से रोजगार प्रभावित नहीं होगा क्योंकि वैकल्पिक सामग्री के कारण रोजगार पैदा होगा। उन्होंने ने कहा कि रेल मंत्रालय, जो 'रेल नीर' ब्रांड के तहत पैकबंद पेयजल बनाता और बेचता है, भी इस मुद्दे पर विचार कर रहा है।

कागज, कांच और स्टील न तो किफायती विकल्प, न ही पर्यावरण अनुकूल: बेहराम मेहता
'ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ नेचुरल मिनरल वाटर इंडस्ट्री'के सचिव और एवीए नेचुरल मिनरल के प्रबंध निदेशक बेहराम मेहता ने कहा कि पैकेज्ड पानी उद्योग, पीईटी (पॉलीइथिलीन टेरेफ्थेलेट) का उपयोग करती है, जिसका 100 प्रतिशत पुनचक्रीकरण किया जा सकता है और इसका वैश्विक स्तर पर उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि पैकबंद पानी उद्योग ने 92 प्रतिशत रीसाइक्लिंग का स्तर हासिल किया है और जल्द ही इस मामले में 100 प्रतिशत हासिल कर लेगा। श्री मेहता ने कहा कि बोतलबंद पानी उद्योग का आकार 30,000 करोड़ रुपये का है। पूरे प्लास्टिक उद्योग 7.5 लाख करोड़ रुपये का है और इसमें 7 करोड़ लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कागज, कांच और स्टील न तो एक किफायती विकल्प हैं और न ही पर्यावरण के अनुकूल हैं।