भारत 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को उपजाऊ बनायेगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Indian Prime Minister Narendra Modi Greater Noida 9 September 2019 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 09 सितम्बर 2019 को ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में 14वें मरुस्थलीयकरण रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप-14) की उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए।


भारत 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को उपजाऊ बनायेगा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
नयी दिल्ली। भारत 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर जमीन को उपजाऊ बनायेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार, 9 सितंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में आयोजित यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशन टु कॉम्बैट डिजर्टिफिकेशन (यूएनसीसीडी) के पक्षों की सभा के 14वें सम्मेलन (कॉप 14) को संबोधित करते हुए भारत की ओर से यह प्रतिबद्धता जताई।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2015 और 2017 के बीच भारत में पेड़़ों और जंगल के दायरे में 8 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, ''मैं यह घोषणा करना चाहता हूँ कि भारत अब से लेकर 2030 तक अपनी बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने की महत्वाकांक्षा के तहत कुल क्षेत्रफल को 2.1 करोड़ हेक्टेयर से बढ़ाकर 2.6 करोड़ हेक्टेयर करेगा।''


Indian PrimeMinister Narendra Modi Greater Noida 9 September 2019 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 09 सितम्बर 2019 को ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में 14वें मरुस्थलीयकरण रोकथाम पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप-14) की उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उपजाऊ जमीनों का मरुस्थल में बदलना निश्चय ही पूरी दुनिया के लिए भारी चिंता का विषय है। इसे अब एक धीमी प्राकृतिक आपदा के रूप में देखा जाने लगा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और भूमि क्षरण जैसे क्षेत्रों में व्यापक सहयोग बढ़ाने के लिए उपायों का प्रस्ताव रख कर प्रसन्नता महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने ठान लिया है कि देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए कोई जगह नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर-सरकारी समिति (आईपीसीसी) ने पिछले महीने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि विश्व में 23 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि का क्षरण हो चुका है, जबकि भारत में यह हाल 30 प्रतिशत भूमि का हुआ है। इस आपदा से निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन को रोकना ही काफी नहीं है। इसके लिए खेती में बदलाव करने होंगे, शाकाहार को बढ़ावा देना होगा और जमीन का उपयोग सोच-समझकर करना होगा।