20 प्रतिशत घटेगा चीनी उत्पादन!
मुंबई। देश के चीनी उत्पादन में 2019-20 में 20 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है और यह तीन वर्ष के न्यूनतम स्तर पर पहुँच सकता है। चीनी उद्योग के एक अधिकारी ने गुरुवार, 12 सितंबर 2019 को कहा कि पिछले साल सूखे के कारण किसानों ने कम गन्ना लगाया था और इस बार गन्ने की उपज वाले अहम क्षेत्रों में बाढ़ के कारण फसल को नुकसान पहुँचा है।
भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक है और कम उत्पादन के कारण उसे अपना भंडार कम करने में मदद मिल सकती है। दो साल तक रिकॉर्ड उत्पादन और उम्मीद के अनुसार निर्यात नहीं होने के कारण भारत में चीनी का भंडार काफी बढ़ गया था।
नैशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाईकनवरे ने कहा कि भारत का चीनी उत्पादन एक अक्टूबर से शुरू हो रहे विपणन वर्ष 2019-20 में पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत गिरावट के साथ 2.63 करोड़ टन रह सकता है। पिछले साल यह 3.3 करोड़ टन रहा था। उन्होंने कहा, 'पिछले महीने बाढ़ के कारण महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई।'
महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है जबकि कर्नाटक इस मामले में तीसरे स्थान पर है। श्री नाईकनवरे ने कहा कि महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन पिछले साल की तुलना में करीब आधा रहकर 55 लाख टन रह सकता है जबकि कनार्टक का उत्पादन 23 प्रतिशत की गिरावट के साथ 33 लाख टन रहने की आशंका है।
अगस्त के पहले हफ्ते इन दो राज्यों के कई जिलों में 670 मिलीमीटर तक बारिश हुई जिससे नदियों में बाढ़ आ गई और उनके किनारे स्थित गन्ने के खेत पानी में डूब गए। महाराष्ट्र में सांगली जिले के किसान रघुनाथ पवार ने कहा, 'चार एकड़ में लगी मेरी गन्ने की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई क्योंकि एक पखवाड़े तक वह बाढ़ में डूबी रही।' जुलाई में चीनी उद्योग की संस्था इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने 2019-20 में चीनी उत्पादन के 2.82 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया था।
वेस्टर्न इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (विस्मा) के अध्यक्ष बीबी थोंबारे ने कहा कि जून में मॉनसून की शुरुआत में बारिश नहीं हुई और फिर अगस्त में भारी बारिश होने के कारण गन्ने की फसल प्रभावित हुई। कई वर्षों तक गन्ने की बंपर उपज और रिकॉर्ड चीनी उत्पादन से घरेलू स्तर पर चीनी की कीमतों में गिरावट आई है और चीनी मिलों के लिए किसानों का बकाया देना मुश्किल हो रहा है।
गन्ना किसानों को प्रभावशाली वोट बैंक माना जाता है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों का बकाया कम करने और चीनी के बढ़ते भंडार को कम करने के लिए मिलों को चीनी निर्यात के लिए प्रोत्साहन दे रही है और उसने 2019-20 में 60 लाख टन चीनी निर्यात का लक्ष्य रखा है। थोंबारे ने कहा कि सरकारी सहायता से मिलों को निर्यात सौदे हासिल करने और भंडार को कम करने में मदद मिलेगी। पिछले महीने सरकार ने कहा कि भारत 2019-20 विपणन वर्ष की शुरुआत 1.42 करोड़ टन के रिकॉर्ड भंडार के साथ कर सकता है।
20 प्रतिशत घटेगा चीनी उत्पादन!